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Himachal Scholarship Scam: 250 करोड़ का हिमाचल के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला, जिसकी जांच कर रही सीबीआई और ईडी

हिमाचल प्रदेश में अब तक के सबसे बड़े घोटाले में ईडी ने भी जांच तेज कर दी है. करीब 250 करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले की जांच पिछले करीब 4 साल से सीबीआई कर रही है और अब तक 8 चार्जशीट दायर कर चुकी है. मामले में गिरफ्तारियां भी हो चुकी है और हाइकोर्ट भी संज्ञान ले चुका है. आखिर क्या है हिमाचल का स्कॉलरशिप घोटाला, जानने के लिए पढ़ें (Himachal Scholarship Scam)

Himachal Scholarship Scam
Himachal Scholarship Scam

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 29, 2023, 3:24 PM IST

Updated : Aug 29, 2023, 6:00 PM IST

शिमला: हिमाचल का 250 करोड़ का स्कॉलरशिप स्कैम सुर्खियों में है. सीबीआई की जांच के साथ ही ईडी भी इसकी जांच में शामिल हो गई है. ईडी ने इस सिलसिले में मंगलवार को हिमाचल सहित कई राज्यों में छापेमारी की है. इस घोटाले के तार पड़ोसी राज्यों के साथ भी जुड़े हुए हैं. मंगलवार को ईडी ने हिमाचल के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में भी रेड की है.

ये मामला हाईकोर्ट में भी चल रहा है. सीबीआई ने हिमाचल हाईकोर्ट के समक्ष सील्ड कवर में रिपोर्ट पेश की है. हाईकोर्ट ने पिछले साल इस मामले में सीबीआई की सुस्त जांच पर एजेंसी को फटकार भी लगाई थी. उसके बाद जांच में तेजी आई है. इस मामले के तार कई राज्यों और कई दलालों से जुड़े हैं, लिहाजा वैज्ञानिक जांच के लिए डिजिटल सबूतों को जुटाने में समय लग रहा है. पिछले साल अप्रैल महीने में 4 तारीख को हाईकोर्ट ने जब सीबीआई को फटकार लगाई थी तो चार दिन बाद ही 8 अप्रैल को जांच एजेंसी ने घोटाले से जुड़े सात लोगों को गिरफ्तार किया था. सीबीआई 2014 यानी नौ साल से जांच कर रही है. सीबीआई अब तक हाईकोर्ट में मामले की जांच को लेकर सात स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है.

स्कॉलरशिप घोटाले में ईडी ने मारी रेड

दरअसल साल 2019 में बीजेपी सरकार के दौरान जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के छात्रों ने छात्रवृत्ति ना मिलने की शिकायत की थी. जिसके बाद लाहौल स्पीति से तत्कालीन मंत्री और विधायक रामलाल मारकंडा ने इसकी शिकायत की थी. जिसके बाद सरकार के कान खड़े हुए और इस घोटाले की जांच शुरू हुई. बीजेपी की जयराम सरकार ने उसी साल जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई अब तक इस मामले में 8 चार्जशीट दाखिल कर चुकी है.

मई 2019 से सीबीआई ने विधिवत मामला दर्ज कर जांच शुरू की थी. ये फर्जीवाड़ा 250 करोड़ रुपए से अधिक का है. देश के अन्य राज्यों में भी ठगों ने छात्रवृत्ति हड़पने के लिए जाल फैला रखा था. सीबीआई की जांच के अनुसार 1176 संस्थानों की संलिप्तता का पता चला है. स्कॉलरशिप देने वाले 266 निजी संस्थानों में से 28 संस्थानों को घोटाले में शामिल पाया गया है. सीबीआई के अनुसार उन 28 संस्थानों में से 11 की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है. जांच के बाद आरोप पत्र भी दाखिल किए गए हैं और अभी 17 संस्थानों के खिलाफ जांच चल रही है.

हिमाचल में 250 करोड़ का स्कॉलरशिप स्कैम

स्कॉलरशिप स्कैम में छात्रवृत्ति की रकम की मनमानी बंदरबांट की गई. संस्थानों के दस्तावेजों की जांच किए बिना ही पैसा बांट दिया गया. यहां बता दें कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में स्कॉलरशिप का ऑनलाइन पोर्टल तैयार हुआ. फिर समय-समय पर 250 करोड़ की रकम निजी शिक्षण संस्थानों के खाते में डाल दी गई. इस रकम में से कुल 56 करोड़ की राशि ही सरकारी संस्थानों में अध्ययन करने वाले बच्चों के खाते में जमा हुई. हैरत है कि 2013-14 के बाद से ही कई छात्र शिक्षा विभाग में शिकायत कर रहे थे कि उन्हें स्कॉलरशिप का पैसा नहीं मिल रहा है, लेकिन किसी ने भी इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया.

दरअसल केंद्र सरकार की तरफ से प्रायोजित योजनाओं के तहत राज्य का शिक्षा विभाग छात्रवृत्ति में पहले अपने हिस्से की रकम डाल कर देता है. इसके बाद इस राशि का उपयोगिता प्रमाण (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट यानी यूसी) पत्र केंद्र को भेजा जाता है. फिर केंद्र सरकार इसके बाद अपने हिस्से का पैसा जारी करती है. धांधली का आलम ये था कि हिमाचल शिक्षा विभाग के अफसरों ने यूसी यानी उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने में भी दस्तावेजों की हेराफेरी की. स्कॉलरशिप की रकम किस संस्थान में पढ़ रहे किस छात्र को दी गई, इसकी कोई जानकारी ही दर्ज नहीं की गई.

हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिलों के स्टूडेंट्स के नाम पर भी करीब 50 करोड़ की रकम जमा हुई, लेकिन जनजातीय जिले लाहौल स्पीति से शिकायतें आई कि छात्रों को स्कॉलरशिप का भुगतान ही नहीं हुआ है. वर्ष 2016 में कैग ने छात्रवृत्ति की 8 करोड़ की रकम गैर यूजीसी मान्यता हासिल संस्थानों को बांटने का मामला उजागर किया. फिर भी शिक्षा विभाग पर कोई असर नहीं हुआ. शिक्षा विभाग ने कैग की रिपोर्ट पर जवाब दिया कि छात्रवृत्ति की राशि आबंटन में यह नहीं लिखा गया है कि सिर्फ यूजीसी की तरफ से मान्यता हासिल संस्थानों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को ही इस राशि का भुगतान किया जा सकता है.

सीबीआई कर रही स्कॉलरशिप घोटाले की जांच

मैट्रिक पास करने के बाद केंद्र व राज्य सरकार की 20 से अधिक विभिन्न प्रकार की स्कॉलरशिप योजनाओं के तहत मेधावी छात्रों को ये लाभ दिया जाता है. स्कॉलरशिप योजना 2013 से पहले ऑनलाइन नहीं थी, लिहाजा इससे पहले के घोटाले को पकड़ पाना खासा मुश्किल है, लेकिन बाद में सारी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद से ही गैर मान्यता प्राप्त तथा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में छात्रों के फर्जी बैंक अकाउंट खोल कर एक ही कॉन्टेक्ट नंबर बताते हुए घोटाला किया गया. एक ही संस्थान में सिर्फ एक साल में अनुसूचित जाति के छात्र-छात्राओं के नाम पर करोड़ों का भुगतान फर्जी तरीके से हुआ. और तो और संस्थानों में प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों के बैंक खाते भी एक ही बैंक में दिखाए गए. राज्य सरकार के 2013 में तत्कालीन शिक्षा सचिव डॉ. अरुण शर्मा ने इस घोटाले की परतें उधेडऩे की दिशा में उल्लेखनीय काम किया था.

सीबीआई ने अब जांच में 47 हार्ड डिस्क, साढ़े दस हजार फाइलों और पैन ड्राइव आदि से डाटा जुटाया है. इस मामले में शिक्षा विभाग के अधीक्षक अरविंद राज्टा गिरफ्तार हुए थे, लेकिन जमानत के बाद उनकी बहाली हो चुकी है. सीबीआई की जांच के दायरे में पंजाब के नवांशहर, खरड़, मोहाली आदि इलाकों के निजी संस्थान भी शामिल हैं. फिलहाल, सीबीआई के बाद ईडी भी इस मामले में छापामारी कर रही है. नौ साल में भी घोटाले की जांच अंजाम तक नहीं पहुंची है. सीबीआई हाईकोर्ट में अपनी मजबूरी बता चुकी है कि स्टाफ की कमी के कारण जांच तेज गति से नहीं हो पा रही है.

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Last Updated : Aug 29, 2023, 6:00 PM IST

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