नई दिल्ली : नेपाल में मंगलवार के दोपहर 2:28 बजे भूकंप आया, जिसके झटके दिल्ली, उत्तराखंड और जयपुर सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में भी महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 5.8 मापी गई है. इस भूकंप का असर सबसे अधिक नेपाल और उत्तराखंड में देखा गया है. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने जानकारी दी. उत्तराखंड के देहरादून और उधम सिंह नगर सहित कई हिस्सों में भूकंप से लोग सहम गए हैं. इसके अलावा दिल्ली और एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का झटका भले ही कुछ सेकेंड का रहा, लेकिन इसके डर से लोग घरों से बाहर निकल गए हैं.
नेपाल में भूकंप का केंद्र:नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप दोपहर 2:28 बजे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से 148 किमी पूर्व में नेपाल के बाजुरा और हुमला के ताजकोट के हिमाली ग्राम परिषद की सीमा में भूकंप आया है, जिसका असर भारत के कई हिस्सों में देखा गया. उत्तराखंड के देहरादून, उधमसिंह नगर के काशीपुर, चमोली के जोशीमठ में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. वहीं, दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए. राजस्थान की राजधानी जयपुर के कुछ हिस्सों में भी झटके महसूस किए गए.
हिमाली में घर ढहे:हिमाली के ग्राम परिषद प्रमुख ने बताया कि खराब मौसम की स्थिति और क्षेत्र में बर्फबारी के कारण, हम अन्य इलाकों के साथ संपर्क स्थापित करने में सक्षम नहीं हैं. टेलीफोन तक काम नहीं कर रहा है. भूकंप के बाद क्षेत्र में कुछ और घर ढह गए है. बाजुरा जिले के डीएसपी सूर्य थापा ने कहा, "हमें सूचना मिली है कि जिले में 3 और मकान ढह गए हैं. अब तक कोई हताहत नहीं हुआ है."
क्यों आता है भूकंप : धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहते हैं. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है, जिसे टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह पर हिलती रहती हैं. जब ये प्लेट बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप महसूस होता है. इस दौरान एक प्लेट दूसरी प्लेट के नीचे आ जाती है. भूकंप की तीव्रता का अंदाजा केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है. इन तरंगों से सैंकड़ो किलोमीटर तक कंपन होता है और धरती में दरारें तक पड़ जाती है. अगर भूकंप की गहराई उथली हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे भयानक तबाही होती है, लेकिन जो भूकंप धरती की गहराई में आते हैं, उनसे सतह पर ज्यादा नुकसान नहीं होता. समुद्र में भूकंप आने पर ऊंची और तेज लहरें उठती हैं, जिसे सुनामी भी कहते हैं.
कैसे मापी जाती है भूकंप की तीव्रता: भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है. इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है. भूकंप से जान-माल की हानि, मूलभूत आवश्यकताओं की कमी, रोग आदि होता है. इमारतों व बांध, पुल, नाभिकीय ऊर्जा केंद्र को नुकसान पहुंचता है. भूस्खलन व हिम स्खलन होता है, जो पहाड़ी व पर्वतीय इलाकों में क्षति का कारण हो सकता है. विद्युत लाइन के टूट जाने से आग लग सकती है. समुद्र के भीतर भूकंप से सुनामी आ सकता है. भूकंप से क्षतिग्रस्त बांध के कारण बाढ़ आ सकती है. क्या वैज्ञानिक भूकंप की भविष्यवाणी कर सकते हैं? नहीं, और शायद ही कभी ऐसा संभव हो कि वे इसकी भविष्यवाणी कर सकें. वैज्ञानिकों ने भूकंप की भविष्यवाणी करने के तमाम तरीके अपनाने की कोशिश की, लेकिन कोई भी कारगर साबित नहीं हुआ. किसी निर्धारित फॉल्ट को लेकर तो वैज्ञानिक यह बता सकते हैं कि भविष्य में भूकंप आएगा, लेकिन कब आएगा, बताने का कोई तरीका नहीं है.भूकंप आने पर क्या करें और क्या न करें?
(इनपुट-एजेंसी)