नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय ने एनएसयूआई के छात्र नेता लोकेश चुग को विश्वविद्यालय ने यह आरोप लगाकर एक साल के लिए निलंबित कर दिया था कि उन्होंने 27 जनवरी 2023 को दिल्ली विश्वविद्यालय में बीबीसी डॉक्यूमेंट्री का प्रसारण करवाया था. इस निलंबन को लेकर सोमवार को एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल सेहरावत, राष्ट्रीय सचिव व प्रदेश प्रभारी नीतीश गौड़ व अन्य छात्र नेताओं ने प्रोक्टर रजनी अब्बी से मिलकर ज्ञापन सौंपा है. साथ ही कड़ी आपत्ति जाहिर की है. छात्र संगठन ने छात्र नेता लोकेश चुग के निलंबन की वापसी की गुहार लगाई है. साथ ही आंदोलन की चेतावनी दी है.
सोमवार को एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल सेहरावत, राष्ट्रीय सचिव व प्रदेश प्रभारी नीतीश गौड़ व अन्य छात्र नेताओं ने प्रोक्टर रजनी अब्बी से मिलकर कड़ी आपत्ति जताई है. दिल्ली के प्रभारी नीतीश कुमार ने बयान जारी कर कहा कि 27 जनवरी को जब दिल्ली विश्वविद्यालय कैंपस में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा रही थी तब वहां तमाम छात्र नेता मौजूद थे, लेकिन सरकार के दबाव में विश्वविद्यालय प्रशासन केवल एक तरफा कार्रवाई कर रहा है. इस प्रसारण के दौरान भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अक्षित दहिया भी मौजूद थे, पर उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष कुणाल शेरावत ने रजनी अब्बी को ज्ञापन सौंपकर, छात्र नेता लोकेश चौक के निलंबन की वापसी की गुहार लगाई है. साथ ही आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन प्रधानमंत्री का सच उजागर होती फिल्म दिखाने पर इतना बौखलाया हुआ क्यों है ? क्या कैंपस में फिल्म दिखाना भी अपराध हो गया है ? कुणाल ने कहा कि अगर फिल्म में कुछ गलत था तो सरकार ने इसे बैन क्यों नहीं किया ? प्रोक्टर रजनी अब्बी को यह नहीं भूलना चाहिए कि वह अब एक जिम्मेदार पद पर हैं. भाजपा द्वारा मनोनीत दिल्ली की मेयर नहीं जो वो भाजपा के हित का काम दिल्ली विश्वविद्यालय में करें. उनका काम सभी छात्रों को एक दृष्टि से देखना है, यह उनकी राजनीति चमकाने की कुर्सी नहीं है.
छात्र नेता व एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुग ने कहा कि हमारा संगठन इस फिल्म को प्रसारित करने में नहीं डरता है. हमने देशभर में इस फिल्म को अलग-अलग कैंपस में दिखाया है. लेकिन 27 जनवरी 2023 को जब इस फिल्म की स्क्रीनिंग दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई तब यह आयोजन मेरे द्वारा नहीं कराया गया था. वहां मौजूद मीडिया के लोगों ने मुझे प्रतिक्रिया देने के लिए संपर्क किया था. मेरे साथ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अक्षित दहिया भी मौजूद थे, पर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की.
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