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सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संवेदनशील मामलों में बेंचों के बदलाव पर CJI को पत्र

सुप्रीम कोर्ट में लंबित संवेदनशील मामलों को दूसरे बेंचों में ट्रांसफर करने के मामलों को लेकर मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा गया है. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने यह पत्र लिखा है. Dushyant Dave writes to CJI

Letter to CJI on change of benches in sensitive cases before the Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष संवेदनशील मामलों में बेंचों के बदलाव पर CJI को पत्र

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 6, 2023, 1:59 PM IST

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित संवेदनशील मामलों की सूची पर नाराजगी व्यक्त की है. दवे ने पत्र में कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से शीर्ष अदालत की विभिन्न पीठों के समक्ष ऐसे कई मामले देखे हैं जो पहली बार सूचीबद्ध होने पर और या जिनमें नोटिस जारी किया गया था, उन्हें उन पीठों से हटाकर अन्य पीठों के समक्ष सूचीबद्ध किया जा रहा है.

डेव ने कहा कि पहला कोरम उपलब्ध होने के बावजूद मामलों को उस पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जा रहा है जिसकी अध्यक्षता दूसरा कोरम करता है. न्यायालय संख्या 2, 4, 6, 7 के समक्ष सूचीबद्ध मामलों को अन्य मामलों के अलावा अन्य माननीय पीठों के समक्ष स्थानांतरित कर दिया गया है. यह नियमों और कन्वेंशन की स्पष्ट अवहेलना की गई.

पत्र में उत्सुकता से कहा गया है, ऐसा करने में प्रथम कोरम की वरिष्ठता को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. हमारा ध्यान बार के सम्मानित सहयोगियों, वरिष्ठों और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (एओआर) द्वारा उन विभिन्न मामलों के बारे में भी आकर्षित किया गया है जिनमें वे पेश हुए हैं. पहले तो कई मौकों पर बाद में मामलों को विभिन्न पीठों के समक्ष सूचीबद्ध किया गया.

मेरे लिए इन मामलों को गिनाना उचित नहीं होगा क्योंकि इनमें से कई मामले लंबित हैं. लेकिन यह उल्लेख करना अनुचित नहीं होगा कि इन मामलों में मानवाधिकार, बोलने की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और वैधानिक और संवैधानिक संस्थानों के कामकाज से जुड़े कुछ संवेदनशील मामले शामिल हैं. पत्र में अदालत के प्रैक्टिस और प्रोसेस पर हैंडबुक में प्रावधान पर प्रकाश डाला गया है.

इसमें सीजेआई को रोस्टर को बदलने और 'चुनने' और किसी भी अपील या कारण या मामले को किसी भी न्यायाधीशों को आवंटित करने की असाधारण शक्ति प्रदान करता है. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश केवल प्रैक्टिस के अनुसार ही शक्ति का प्रयोग कर सकते हैं और यदि रोस्टर के अनुसार कोरम उपलब्ध है, तो मुख्य न्यायाधीश उपलब्ध कोरम से पहले किसी भी मामले को हटाकर दूसरे के समक्ष रखने की शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकते हैं.'

दवे ने सीजेआई की नियुक्ति पर कहा, 'नागरिकों के मन में मजबूत उम्मीदें पैदा हुई हैं कि उनके नेतृत्व में भारत का सर्वोच्च न्यायालय अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में न्याय वितरण पर इस तरह की अनियमितताओं के कारण लगे घाव अभी तक ठीक नहीं हुए हैं. उन्होंने कहा,'मुझे खेद है कि मुझे यह खुला पत्र लिखने का सहारा लेना पड़ा क्योंकि हममें से कुछ लोगों द्वारा आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला है, जबकि एक वरिष्ठ और सम्मानित सहकर्मी ने महीनों पहले एप्वाइंटमेंट की मांग की थी.

शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कहा कि वह अपनी मामलों की सूची से उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी से जुड़े एक मामले को हटाए जाने को लेकर आश्चर्यचकित है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'मैंने इसे हटाया नहीं है या इसे लेने की अनिच्छा व्यक्त नहीं की है. मुझे यकीन है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को इसकी (मामले को हटाने की) जानकारी है.

एक पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि अदालत को रजिस्ट्री से रिपोर्ट मांगनी चाहिए. भूषण ने जोर देकर कहा कि यह बहुत अजीब है कि न्यायिक आदेश में सुनवाई की तारीख तय होने के बावजूद मामला हटा दिया गया. जस्टिस कौल ने कहा, 'कुछ बातें अनकही रह जाना ही बेहतर है. हम देख लेंगे.'

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