नई दिल्ली : ईंधन की बढ़ती कीमतों और तीन कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष हमलावर है. वहीं, दूसरी तरफ इन मुद्दों को संसद में चर्चा करने की मांग उठी है. कांग्रेस से राज्य सभा सांसद सैयद नसीर हुसैन का कहना है कि संसद सत्र में इन मुद्दों पर बहस होनी चाहिए ताकि किसानों को लगे की उनकी शिकायतों पर सदन में चर्चा हुई.
ईटीवी भारत से इन्हीं सब विषयों पर बातचीत करते हुए कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा कि, पिछले दो दिनों से सदन में ईंधन की कीमतों में हुई बढ़ोतरी पर चर्चा करने की बात कही जा रही है.
कांग्रेस नेता नसीर हुसैन की ईटीवी भारत से खास बातचीत सैयद नसीर हुसैन ने आगे कहा, 'आज कांग्रेस ने सदन में किसान आंदोलन को लेकर बात की. किसान अपनी मांगों को लेकर 104 दिनों से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर बैठे हैं. हम सरकार से काले कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन केंद्र इन विषयों पर चर्चा करना ही नहीं चाहती है.'
नसीर हुसैन ने आगे कहा कि संसद चर्चा करने के लिए एक खुला मंच है और सांसदों को इन मुद्दों पर चर्चा करने दिया जाना चाहिए. देश तय करेगा कि आगे क्या होना चाहिए. हम कृषि कानूनों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं ताकि किसान संतुष्ट हो जाए और अपने घरों को वापस लौट जाएं.
बता दें कि राज्य सभा में आज कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन पर चर्चा करने की मांग रखी. इसको लेकर सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित करना पड़ा.
बता दें कि कांग्रेस ने इन मुद्दों पर रणनीति तैयार करने के लिए विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में कांग्रेस राज्यसभा सांसदों की बैठक भी बुलाई थी. बता दें कि मल्लिकार्जुन खड़गे के राज्य सभा में विपक्ष के नेता बनने के बाद यह पहली बैठक थी.
नसीर हुसैन ने कहा, संसद में उठाए जाने वाले इस देश के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बेहतर समन्वय के लिए कांग्रेस पार्टी की आंतरिक राज्यसभा सदस्यों की बैठक हुई थी.
दूसरी तरफ नसीर हुसैन ने हरियाणा में बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) पर निशाना साधा. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि, कुछ दल हैं जो खुद को किसान और मजदूर के पक्ष में खड़ा होने का दावा तो करते हैं लेकिन दूसरी तरफ वे बीजेपी के साथ गठबंधन भी किए हुए हैं. ऐसे में सब चीजें एक साथ नहीं चल सकती हैं. या तो आप किसान के पक्ष में बात करिए या फिर सत्तासीन केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ खड़े हो जाएं. उन्होंने कहा कि लोगों को तय करने दें कि कौन किसानों के पक्ष में है और कौन इसके खिलाफ हैं.
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उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के शपथ ग्रहण समारोह पर बोलते हुए कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कार्य नहीं कर रहे थे. वहां की सरकार ने काम नहीं किया था. राज्य में विकास कार्य ठप था. बीजेपी को यह पता लग चुका था कि त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में अब पार्टी को जीत नहीं मिल सकती है, इसलिए उन्होंने चेहरा ही बदल दिया. बीजेपी को लगता है कि चेहरा बदल देने से उनकी दोबारा सत्ता में वापसी हो सकती है. लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है.