हरिद्वार :धर्मनगरी में कुंभ मेले का आगाज हो गया है. श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी और आनंद अखाड़े में बड़ी धूमधाम और पूरे विधि विधान के साथ कुंभ मेले की पहली धर्मध्वजा की स्थापना की गई. इस दौरान अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज, कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत, आईजी कुंभ संजय गुंज्याल समेत सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधि मौजूद रहे. ये धर्मध्वजा 52 फीट की ऊंचाई पर लगाई गई है. इसकी लकड़ी को छिद्दरवाला के जंगलों से लाया गया है.
कुंभ मेले की शुरुआत सभी अखाड़ों द्वारा धर्मध्वजा स्थापित करके की जाती है. माना जाता है कि धर्मध्वजा स्थापित होने के बाद अखाड़ों का कुंभ मेला शुरू हो जाता है. धर्मध्वजा संन्यासी अखाड़ों में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है और धर्मध्वजा के नीचे ही नागा संन्यासियों को संन्यास की दीक्षा दी जाती है.
निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाश आनंद गिरि महाराज का कहना है कि धर्मध्वजा धर्म की परंपरा है और सनातन धर्म में भगवा ध्वज का बड़ा महत्व होता है. अखाड़े की परंपरा में धर्म ध्वजा स्थापित होने पर अखाड़ों का कुंभ शुरू होता है.
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव नरेंद्र गिरी महाराज का कहना है कि निरंजनी अखाड़े का रमता पंच हरिद्वार आ चुका है वह निरंजनी अखाड़े की छावनी एसएम जैन पीजी कॉलेज में रुके हुए हैं. 3 मार्च को पेशवाई के माध्यम से शाही रूप में निरंजनी अखाड़े की छावनी में प्रवेश करेंगे. इनका कहना है कि हमारे लिए जितना प्रिय राज ध्वज होता है उतनी ही धर्मध्वजा होती है. सनातन परंपरा में भगवा वस्त्र का काफी महत्व होता है, धर्मध्वजा भी उसी रंग में है. धर्मध्वजा 52 फीट की है और 52 फीट का ही वस्त्र है. कुंभ मेले के हर शाही स्नान में धर्मध्वजा पर एक ध्वजा लगाई जाएगी, लेकिन मुख्य ध्वजा यही रहेगी.
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वहीं, निरंजनी अखाड़े की धर्मध्वजा कार्यक्रम में मेला प्रशासन के भी सभी अधिकारी मौजूद रहे. इस मौके पर कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि आज निरंजनी अखाड़े की धर्मध्वजा का कार्यक्रम सकुशल संपन्न हुआ. निरंजनी अखाड़े के सहयोगी आनंद अखाड़े की धर्मध्वजा भी स्थापित की गई. कुंभ मेले के सभी कार्य अच्छे तरीके से संपन्न हों, साधु संतों का मेला प्रशासन को आशीर्वाद मिले और हरिद्वार की जनता को भी कुंभ की अलग ही रौनक देखने को मिले.