दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

सच उगलवाने के लिए आफताब का पॉलिग्राफ टेस्ट कराना चाहती है दिल्ली पुलिस, कोर्ट से मांगी अनुमति - पॉलिग्राफ टेस्ट कराना चाहती है दिल्ली पुलिस

श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) के आरोपी आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को लेकर दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट में आवेदन दिया है. फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. वहीं इस मामले में कोर्ट ने आरोपी का नार्को टेस्ट करने का आदेश दिया है. आइए जानते हैं आखिर क्या होता है नार्को टेस्ट और पॉलिग्राफ टेस्ट और दोनों में क्या अंतर होता है...

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Nov 21, 2022, 7:48 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने साकेत कोर्ट में श्रद्धा मर्डर केस (Shraddha Murder Case) के आरोपी आफताब का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को लेकर आवेदन दिया है. साकेत स्थित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अविरल शुक्ला की अदालत में यह आवेदन दिया गया है. इसे अविरल शुक्ला ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट विजय श्री राठौर के पास स्थानांतरित कर दिया है क्योंकि आफताब के नार्को टेस्ट की अनुमति भी विजय श्री राठौर की अदालत से ही दी गई थी. बता दें अभी तक कोर्ट ने इस पर कोई फैसला नहीं दिया है.

पुलिस सूत्रों की मानें तो नार्को टेस्ट को लेकर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में इस आधार पर आवेदन दिया था कि आफताब लगातार बयान बदलकर पुलिस को गुमराह कर रहा है. अब इसी आधार पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को लेकर भी इजाजत मांगी गई है. नार्को टेस्ट और पॉलीग्राफ टेस्ट का मकसद किसी व्यक्ति से सच उगलवाना होता है. हालांकि दोनों जांच की प्रक्रिया एक दूसरे से अलग है.

क्या है नार्को टेस्टःनार्को टेस्ट कई मायनों में अलग है. इस जांच की प्रक्रिया में व्यक्ति को एक इंजेक्शन लगाया जाता है, जिसके बाद वह न तो पूरी तरह होश में होता है और न ही बेहोश होता है. नार्को ग्रीक भाषा का एक शब्द है, जिसका मतलब एनेस्थीसिया होता है. नार्को टेस्ट में डॉक्टर ट्रुथ सिरप ड्रग्स का इस्तेमाल करते हैं. इसे इंजेक्शन में भरकर व्यक्ति को लगाया जाता है. हालांकि, इससे पहले कुछ रूटीन टेस्ट होते हैं, ताकि पता चल सके कि व्यक्ति का शरीर एनेस्थीसिया झेल पाने के लायक है या नहीं.

पॉलीग्राफ टेस्ट से कैसे होती है झूठ की पहचानःपॉलीग्राफ टेस्ट को आसान भाषा में लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है. इसमें मशीनों के जरिए सच और झूठ का पताया लगाया जाता है. इसमें आरोपी या संबंधित शख्स से सवाल पूछे जाते हैं. फिर सवाल का जवाब देते समय मानव शरीर के आंतरिक व्यवहार जैसे पल्स रेट, हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर का मशीन की स्क्रीन पर लगे ग्राफ के जरिए आंकलन होता है.

ये भी पढ़ेंः मथुरा में ऑनर किलिंग, पिता ने मर्डर करके सूटकेस में फेंकी थी बेटी की लाश

बिना किसी दवाई या इंजेक्शन से होती है जांचः इंसान अक्सर जब झूठ बोलता है तो पसीना आना, कंपकपी होना, जोर-जोर से दिल धड़कना जैसे कई बदलाव होते हैं. लाई डिटेक्टर टेस्ट के दौरान इंसान के शरीर के विभिन्न अंगों पर तार लगाए जाते हैं, जिसके जरिए मशीन हावभाव को मॉनिटर करता है. पॉलिग्राफ टेस्ट में व्यक्ति को किसी तरह की दवाई या इंजेक्शन नहीं दिया जाता है. वह पूरे होश में सवालों के जवाब देता है. पॉलीग्राफ टेस्ट के दौरान एक एक्सपर्ट व्यक्ति के शरीर में होने वाले बदलावों की निगरानी करता है. फिर उसी के आधार पर मशीन के आउटपुट देखकर बताता है कि वह सच बोल रहा है या झूठ.

ABOUT THE AUTHOR

...view details