नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. सरकार ने दायर अपनी अपील में कहा है कि केंद्र का अध्यादेश असंवैधानिक है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए. अधिकारियों ने कहा कि दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
इससे पहले पार्टी ने 11 जून को अध्यादेश के खिलाफ महारैली की थी. केंद्र ने 19 मई को दिल्ली में IAS और दानिक्स अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकरण बनाने के लिए अध्यादेश जारी किया था.
दिल्ली सरकार ने अध्यादेश की इन धाराओं की संवैधानिकता को चुनौती दी है...
- जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 3ए यह निर्धारित करती है कि राज्य सूची की प्रविष्टि 41 अब दिल्ली की विधानसभा के लिए उपलब्ध नहीं होगी.
- जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45ई से 45एच के अनुसार दिल्ली सरकार में काम करने वाले अधिकारियों पर एलजी का कंट्रोल है और अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग और अनुशासन सहित मामलों पर एलजी को सिफारिशें करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन करती है.
- जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 41 में जीएनसीटीडी अधिनियम के भाग 4ए से संबंधित मामलों में एलजी के स्वविवेक का प्रावधान है.
- जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45डी निर्धारित करती है कि किसी अन्य कानून के बावजूद, दिल्ली सरकार में कोई भी प्राधिकरण, बोर्ड, आयोग या कोई वैधानिक निकाय का गठन और उसके सभी सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी.
- जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45 के(3) और 45के(5) के तहत ब्यूरोक्रेट्स और एलजी को मंत्रिपरिषद और प्रभारी मंत्रियों द्वारा लिए गए निर्णयों को रद्द करने की अनुमति है.
- जीएनसीटीडी अधिनियम की धारा 45के (1) के तहत ब्यूरोक्रेट्स को कैबिनेट नोट्स को अंतिम रूप देने का अधिकार है और उन्हें मंत्रिपरिषद द्वारा विचार किए जाने से पहले किसी भी प्रस्ताव रोकने की अनुमति है.
CM केजरीवाल ने बताया था गैरकानूनीः केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के अगले ही दिन गत 20 मई को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ग्रीष्म अवकाश के चलते सुप्रीम कोर्ट बंद हुआ है और कुछ घंटों बाद ही अध्यादेश लाकर कोर्ट के फैसले को पलट दिया गया. यह गैरकानूनी है और जनतंत्र के खिलाफ है. हम कोर्ट जाएंगे.