नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित कार्यक्रम "दिल्ली ईवी पॉलिसी 2.0 स्टेकहोल्डर्स कंसल्टेशन" में विभिन्न हितधारकों को संबोधित किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य दिल्ली में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की दिशा में केजरीवाल सरकार के प्रयासों को और मजबूती प्रदान करना है. कार्यक्रम का आयोजन क्लाइमेट ट्रेंड्स और रॉकी माउंटेन इंस्टीट्यूट (आरएमआई) इंडिया के साथ साझेदारी में परिवहन विभाग द्वारा आयोजित किया गया.
परिवहन मंत्री ने दिल्ली ईवी नीति की सफलता के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने इसकी सफलता का श्रेय दिल्ली सरकार की "3i मॉडल" (इन्क्लूजन, इंसेंटिवाइजेशन और इनोवेशन) को दिया. उन्होंने कहा कि 3i मॉडल का 'इन्क्लूजन' पहलू सभी हितधारकों को ईवी नीति की अवधारणा के चरण से सक्रिय रूप से शामिल करने पर केंद्रित रहा है. आरएमआई इंडिया के सहयोग से पॉलिसी के शुरुआती चरण में लगभग 300 लोगों ने दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित हितधारकों के गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया, जहां नीति के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया.
'इंसेंटिवाइजेशन' के तहत दी गई सब्सिडी: कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 'इंसेंटिवाइजेशन' के तहत इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए पर्याप्त सब्सिडी दी. इलेक्ट्रिक कारों के लिए 1.5 लाख रुपए, ई-रिक्शा के लिए 30,000 रुपए और दोपहिया वाहनों के लिए 5,000 रुपए प्रति kWh की सब्सिडी प्रदान की गई. इसके अतिरिक्त, रोड टैक्स और पंजीकरण कर पर छूट प्रदान की गई, जिसके परिणामस्वरूप बेची गई 1.2 लाख ईवी के लिए 120 करोड़ की कुल टैक्स छूट दी गई.
उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने 4.5 रुपए प्रति यूनिट के ईवी टैरिफ की शुरुआत की. साथ ही ई-साइकिल के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने वाला दिल्ली देश का पहला राज्य है. लोगों को ईवी चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग स्टेशन के बारे में आसानी से जानकारी मिल सके, इसके लिए सरकार ने वन दिल्ली ऐप में सभी जानकारी समाहित की है.