हैदराबाद : देश की राजधानी मॉनसून आने से पहले जल संकट से जूझ रही है. दिल्ली सरकार हरियाणा पर पर्याप्त पानी नहीं देने का आरोप लगा रही है. यहां तक कि इस मामले में दिल्ली जल बोर्ड की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के 1996 के आदेश का पालन न करने के लिए अवमानना की कार्रवाई करने की अपील की गई है. पानी के लेकर दिल्ली-हरियाणा के बीच विवाद नया नहीं है.
ऐसा ही विवाद दक्षिण भारत में नदियों को लेकर कई राज्यों में है. कावेरी नदी को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच ठनी हुई है. कर्नाटक, कावेरी नदी पर मेकेदातु (mekedatu) में बांध बनाना चाहता है. इसको लेकर तमिलनाडु सरकार ने विरोध जताया है. तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने इस संबंध में सोमवार प्रस्ताव पारित कर केंद्र को अवगत कराया कि किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होगा.
हालांकि तमिलनाडु सरकार बांध निर्माण रोकने के लिए कानूनी कदम भी उठा रही है. दरअसल कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने स्टालिन को पत्र लिखकर तमिलनाडु से बांध परियोजना का विरोध नहीं करने का अनुरोध किया था. जवाब में सीएम स्टालिन ने येदियुरप्पा से कहा था कि बांध से तमिलनाडु के किसानों के हितों पर असर पड़ेगा और यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ भी है.
जानिए राज्यों के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद
दिल्ली-हरियाणा में ठनी
दिल्ली पानी के लिए पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा पर निर्भर है. दिल्ली और हरियाणा के बीच विवाद की बात करें तो ये 1956 से ही चल रहा है, जब वह पूर्वी पंजाब का हिस्सा था. इस बीच दोनों सरकारें हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ती रही हैं, लेकिन ये समस्या आज भी नहीं सुलझी है. बरसात के दिनों में जब यमुना का जलस्तर बढ़ता है तो दिल्ली में जलभराव की समस्या आ जाती है, वहीं जब गर्मी के समय में दिल्ली बूंद-बूंद के लिए तरसती है तो हरियाणा सरकार पर पानी की कटौती के आरोप लगते रहे हैं.
कृष्णा जल विवाद
कृष्णा नदी महाबलेश्वर से निकलती है और महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिलती है. महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश के बीच कृष्णा नदी के बंटवारे के लेकर विवाद काफी समय से चल रहा है. सभी राज्य एक-दूसरे पर पानी न देने या कम देने का आरोप लगाते हैं. इसके लिए 1969 में एक न्यायाधिकरण (ट्रिब्यूनल) बनाया गया. इस नदी के 2060 हजार मिलियन घन फीट जल का तीनों राज्यों में विभाजन कर दिया गया था. 2014 में जब तेलंगाना आंध्र प्रदेश से अलग राज्य बना तो आंध्र की मांग है कि तेलंगाना को अन्य पक्ष के रूप में शामिल किया जाए. पानी का बंटवारा तीन राज्यों में न होकर चार राज्यों में किया जाए.
गोदावरी जल विवाद
गोदावरी नदी महाराष्ट्र के त्रयंबकेश्वर (नाशिक) से निकलकर बंगाल की खाड़ा में मिलती है. यह महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पुडुचेरी से निकलती है. 1969 में आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और कर्नाटक के बीच पानी से जुड़े विवाद का निपटान करने के लिए न्यायाधिकरण बनाया गया. ट्रिब्यूनल के 1980 के निर्णय के तहत हर राज्य गोदावरी तथा इसकी सहायक नदियों के जल का उपयोग एक निर्धारित स्तर तक कर सकता था. 2014 में तेलंगाना बनने के बाद जल को लेकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मध्य विवाद का मुख्य कारण पोलावरम परियोजना बन गई.