नई दिल्ली: बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को शुक्रवार को राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कथित लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में नए आरोपपत्र के संबंध में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और अन्य आरोपियों को शुक्रवार को समन जारी किया. विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर एक नए आरोपपत्र पर संज्ञान लिया और सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया. सभी 17 आरोपितों को 4 अक्टूबर को कोर्ट में पेश होकर जमानत लेनी होगी.
इससे पहले 12 सितंबर को जांच एजेंसी ने कोर्ट को पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की केंद्र सरकार से अनुमति मिलने की जानकारी दी थी. सीबीआइ ने तीन जुलाई को दायर दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे व बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पश्चिम मध्य रेलवे (डब्ल्यूसीआर) के तत्कालीन जीएम, डब्ल्यूसीआर के दो सीपीओ सहित 17 लोगों को आरोपी बनाया है.
सप्लीमेंट्री चार्जशीट में तेजस्वी का नाम जुड़ाः सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पहली बार तेजस्वी यादव का नाम सामने आया था. इससे पहले तेजस्वी यादव का नाम शामिल नहीं था. इसी वर्ष 3 जुलाई को सीबीआई ने एक नए चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम भी आरोपियों में शामिल किया. नए केस में भी तेजस्वी के साथ साथ लालू और राबड़ी को आरोपी बनाया गया है. इसी कारण लैंड फॉर जॉब मामले में बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
ये है पूरा मामलाःसीबीआई ने 18 मई, 2022 को लालू यादव और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। यह आरोप लगाया गया था कि 2004-2009 की अवधि के दौरान तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने ग्रुप "डी" पोस्ट में स्थानापन्नों की नियुक्ति के बदले में अपने परिवार के सदस्यों आदि के नाम पर भूमि संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था। रेलवे के विभिन्न जोन. आगे यह भी आरोप लगाया गया कि इसके बदले में स्थानापन्न, जो स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से पटना के निवासी थे, ने उक्त मंत्री के परिवार के सदस्यों और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में पटना स्थित अपनी जमीन बेच दी और उपहार में दे दी, जो उक्त परिवार के सदस्यों के नाम पर ऐसी अचल संपत्तियों के हस्तांतरण में भी शामिल था.
जांच के दौरान, यह पाया गया कि तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री ने उन स्थानों पर स्थित भूमि पार्सल का अधिग्रहण करने के इरादे से, जहां उनके परिवार के पास पहले से ही भूमि पार्सल थे या जो स्थान पहले से ही उनसे जुड़े हुए थे, उन्होंने सहयोगियों और परिवार के सदस्यों के साथ साजिश रची और कथित तौर पर रेलवे में ग्रुप डी की नौकरी की पेशकश/प्रदान करके विभिन्न भूमि मालिकों की जमीन हड़पने की योजना बनाई.
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