इंसानों के लिए खतरा घोषित 80 तेंदुओं का नहीं लगा पता देहरादून: उत्तराखंड में आए दिन तेंदुए के हमले से लोगों के मारे जाने या घायल होने की खबरें आती रहती हैं.राज्य में लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा इस वक्त तेंदुए ही हैं. आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं कि तेंदुओं की संख्या और उनका मानव बस्तियों की तरफ बढ़ता रुझान इंसानों के लिए खतरा बन गया है. शायद यही कारण है कि समय-समय पर इंसानों के लिए खतरा बने ऐसे तेंदुए को पकड़ने और उन्हें मारने के भी आदेश दिए जाते हैं. उत्तराखंड में ऐसे 80 तेंदुएं आज भी जंगलों और इंसानी बस्तियों में घूम रहे हैं, जिन्हें वन विभाग ने इंसानों के लिए खतरा घोषित किया था.
दरअसल, वन विभाग ने तो तेंदुए के हमले के आधार पर उन्हें मानव जीवन के लिए खतरा मानते हुए उन्हें मारने के आदेश दे दिए, लेकिन अधिकतर तेंदुओं को ना मारा गया और ना ही उन्हें पिंजरे में कैद किया जा सका है.
16 सालों में कुल 108 तेंदुओं को मारने और पकड़ने के निर्देश:उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से पिछले 16 सालों में कुल 108 तेंदुओं को मारने या उन्हें पकड़ने के आदेश दिए गए हैं. राज्य में ऐसे खूंखार वन्यजीवों को पकड़कर रखने की भी बड़ी समस्या है. रेस्क्यू सेंटर इतने बड़े नहीं हैं कि इतनी बड़ी संख्या में खूंखार वन्यजीवों को रखा जा सके. अधिकतर रेस्क्यू सेंटर हाउसफुल जैसी स्थिति में हैं, लिहाजा ऐसे तेंदुओं को अगर वन विभाग पकड़ भी लेता है, तो उन्हें रखने की कोई भी जगह वन विभाग के पास नहीं है.
वन मंत्री के विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा इंसानों के लिए खतरा घोषित तेंदुए राज्य में तेंदुए की संख्या और बढ़ी :हाल ही में तेंदुए की गणना के बाद नए आंकड़े जारी किए गए हैं. वन विभाग बेहद खुश है कि राज्य में तेंदुए की संख्या अब कई गुना बढ़ गई है, लेकिन यह स्थिति बेहद खतरनाक है, क्योंकि इसके साथ ही प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष की संभावना भी बढ़ी है. पिछले कुछ समय में तेंदुओं के हमले चिंताजनक स्थिति तक पहुंचे हैं. कई बार तो इंसानी बस्तियों के पास एक से ज्यादा तेंदुए घूमते हुए नजर आए हैं. इन स्थितियों के बीच सबसे ज्यादा डर का माहौल पहाड़ी जनपदों में दिखाई दिया है.
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रेस्क्यू सेंटर को लेकर बनाई जा रही नई कार्ययोजना:उत्तराखंड वन विभाग के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन डॉ. समीर सिन्हा ने बताया कि समय-समय पर परिस्थितियों के लिहाज से तेंदुओं का खतरा होने से आदेश जारी किए जाते हैं. यहां तेंदुए को मारने का अंतिम विकल्प होता है. कोशिश की जाती है कि मानव वन्य जीव संघर्ष की स्थिति ना बने. उन्होंने बताया कि ऐसे कई मौके आए हैं, जब तेंदुओं को पकड़ा भी गया है और रेस्क्यू सेंटर भी भेजा गया. सीसीएफ इंटेलिजेंस निशांत वर्मा ने बताया कि वैसे तो राज्य में कई रेस्क्यू सेंटर हैं, लेकिन इन रेस्क्यू सेंटर में जगह नहीं होने को लेकर नई कार्य योजना तैयार की जा रही है.
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