शिमला : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधायी निकायों की बैठकों की संख्या में कमी और कानून बनाते समय चर्चा के अभाव की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए बुधवार को कहा कि इन संस्थाओं की प्रतिष्ठता और गरिमा को बढ़ाने के लिये सभी राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करके कुछ निर्णायक कदम उठाने की जरूरत है.
बिरला ने पीठासीन अधिकारियों से विधायी निकायों के नियमों एवं प्रक्रियाओं की समीक्षा करने को कहा ताकि लोगों के अधिकारों की सुरक्षा की जा सके. हिमाचल प्रदेश विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन पदाधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे बिरला ने कहा कि सभी विधायी निकायों में कानूनों एवं प्रक्रियाओं में एकरूपता लाने के लिये मॉडल दस्तावेज बनाया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'विधायी निकायों की बैठकों की संख्या में कमी और कानून बनाते समय चर्चा का अभाव हमारे लिए चिंता का विषय है. इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव पर सामूहिक संकल्प के साथ हमें एक मॉडल दस्तावेज तैयार करना चाहिए ताकि जब हमारी आजादी के 100 वर्ष पूरे हों, तब सभी विधायी निकायों में नियमों एवं प्रक्रियाओं में एकरूपता हो और उनका कामकाज लोगों की उम्मीदों एवं आकांक्षाओं को पूरा करने वाला हो.'