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सोच समझकर चुनें Debt स्कीम, तभी मिलेगा बेहतर रिटर्न का फायदा

डेब्ट स्कीम उन लोगों के लिए बेहतर हैं जो अपने निवेश में कम जोखिम रखना चाहते हैं. ये इक्विटी की तुलना में यूनीक हैं और ये सुरक्षित हैं, लेकिन कम रिटर्न देते हैं. लंबी अवधि की इक्विटी से ज्यादा रिटर्न मिलता है. इसलिए, ज्यादातर लोग अपनी हैसियत के हिसाब से इक्विटी में निवेश जरूर करते हैं. इसके साथ डेब्ट इन्वेस्टमेंट करना भी जरूरी है.

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Published : Feb 21, 2022, 9:57 AM IST

Debt schemes, a blessing in disguise
Debt schemes, a blessing in disguise

हैदराबाद: कई निवेशक इक्विटी स्कीमों में इन्वेस्ट करने में दिलचस्पी दिखाते हैं. लेकिन, लोगों को सिर्फ एक स्कीम में नहीं, बल्कि दूसरी योजनाओं में भी इन्वेस्ट करना जरूरी है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि डेब्ट स्कीमों को भी अपनी निवेश की लिस्ट में शामिल करना चाहिए. डेब्ट स्कीम ऐसा माध्यम है, जहां निवेशक अपनी निवेश राशि पर कई गुणा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. डेब्ट फंड चुनने से पहले इसके बारे में जानने और समझने की जरूरत है. आखिर यह डेब्ट फंड क्या है और यह कैसे काम करता है.

इमरजेंसी फंड के लिए ( For Emergency Fund)

एक्सपर्ट की सलाह है कि हर परिवार में कम से कम छह महीने के खर्च के लिए पर्याप्त नकदी होना जरूरी है. यह रकम घर में होना इसलिए जरूरी है कि आप अचानक आने वाले खर्चों के बारे में नहीं जानते. इसलिए जरूरत पड़ने पर आप इस अपने इमरजेंसी फंड से लोन ले सकते हैं. यह पैसे से ज्यादा कमाई का लालच नहीं रखना चाहिए. इसलिए इमरजेंसी फंड की रकम को कभी हाई रिस्क वाले शेयरों में इन्वेस्ट नहीं करें. यदि आप ऐसा करते हैं और यदि शेयर बाजार में गिरावट होती है तो आपका काफी नुकसान होगा. इसलिए, लिक्विड फंड जैसे ओवरनाइट फंड का इस्तेमाल इमरजेंसी फंड को बचाने के लिए किया जा सकता है. दोनों ओपन-एंडेड डेट फंड की कैटिगरी में आते हैं. इनमें से अच्छी योजनाओं का चयन कर निवेश करना चाहिए. ध्यान रखें कि इमरजेंसी फंड को बैंक में डिपोजिट किया जा सकता है.

ईपीएफ और पीपीएफ (EPF and PPF)

ईपीएफ और पीपीएफ को भी डेब्ट स्कीम माना जा सकता है. हालांकि, ये लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्कीम हैं. यदि आप पहले से पैसा लेना चाहते हैं तो कुछ शर्तों के तहत अनुमति दी जाएगी. सरकारी गारंटी होना यहां एक अच्छा फैक्टर है. जिन लोगों को अधिक धन की आवश्यकता नहीं है, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये योजनाएं उनकी निवेश की लिस्ट में शामिल हों.

रेकरिंग डिपोजिट (Recurring Deposit)

एक सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) बाजार के उतार-चढ़ाव से औसत लाभ प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका है. ऐसा डेब्ट स्कीम में भी किया जा सकता है. लॉन्ग टर्म गोल को हासिल करने के लिए हर महीने रेकरिंग डिपॉजिट की जा सकती है. रेकरिंग डिपोजिट की ब्जाज पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है.

फिक्स डिपोजिट का विकल्प (An alternative to FDs?)

डेब्ट फंड ब्याज की गारंटी नहीं दे सकते. फाइनेंशियल एक्सपर्ट का का सुझाव है कि डेब्ट फंड फिक्स डिपोजिट के समान नहीं हैं. हमें यह नहीं भूलना चाहिए मार्केट आधारित स्कीम, चाहे इक्विटी हो या डेब्ट स्कीम, इसमें थोड़े नुकसान की आशंका बनी रहती है.

पढ़ें : इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम क्या है और इसके लाभ क्या हैं?

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