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धीरूभाई अंबानी : सपने देखने और साकार करने वाला बिजनेस का 'बाजीगर'

देश की सबसे बड़ी कंपनी कौन सी है ? देश का सबसे अमीर शख्स कौन है ? इन दोनों सवालों का जवाब आप जानते होंगे लेकिन आज बात उस शख्सियत की, जिसने इस देश की सबसे बड़ी कंपनी बनाने का सपना देखा और फिर उसे साकार किया. धीरूभाई अंबानी और उनसे जुड़े दिलचस्प किस्सों के बारे में जानने के लिए पढ़िये.

धीरूभाई अंबानी
धीरूभाई अंबानी

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Published : Jul 6, 2021, 6:00 AM IST

हैदराबाद : रिलायंस इंडस्ट्रीज़ देश की सबसे बड़ी कंपनी है और आज इसका मालिकाना हक रखने वाले मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. इस कंपनी की बदौलत मुकेश अंबानी की गिनती दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों में होती है. लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज़ को इस मुकाम तक पहुंचाने का श्रेय उनके पिता धीरूभाई अंबानी को जाता है. जिन्होंने इस कंपनी का सपना देखा और उसे साकार भी किया. आज धीरूभाई अंबानी की पुण्यतिथि है. 6 जलाई 2002 को 69 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था. उनके निधन के करीब 20 साल बाद उनका सपना आज बुलंदियों पर पहुंच चुका है और इस बुलंदी का श्रेय सिर्फ और सिर्फ धीरूभाई अंबानी को ही जाता है.

कहानी धीरूभाई हीराचंद अंबानी की

बिल्कुल सही पढ़ा आपने, धीरूभाई का पूरा नाम धीरूभाई हीराचंद अंबानी था. उनका जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ गांव में हुआ था. चार भाई बहनों के लालन पालन का पूरा जिम्मा उनके शिक्षक पिता पर था. आर्थिक परेशानियों के कारण उन्हें पढ़ाई भी छोड़नी पड़ी. जिस रिलायंस इंडस्ट्रीज का सितारा आद बुलंदियों पर है उसकी स्थापना करने वाले धीरूभाई अंबानी सिर्फ 10वीं तक पढ़े थे. लेकिन अपने हौसले और दृढ निश्चय की बदौलत वो देश के जाने-माने उद्योगपति बने.

300 रुपये की सैलरी से 62 हजार करोड़ की संपत्ति का सफर

-पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने फल या नाश्ता बेचने जैसे छोटे-मोटे काम करने शुरू किए. ज्यादा फायदा नहीं हुआ तो उन्होंने गांव के पास एक धार्मिक पर्यटन स्थल के पास पकौड़े बेचने का काम शुरु किया. उनका काम पूरी तरह से पर्यटकों पर निर्भर था, ज्यादातर वक्त कमाई नहीं होने पर ये काम भी छोड़ दिया.

-मैट्रिक की पढ़ाई खत्म करने के बाद धीरूभाई छोटे-मोटे काम शुरु किए. 1949 में 17 साल की उम्र में वो अपने भाई के साथ नौकरी के लिए यमन चले गए. जहां उन्होंने एक पेट्रोल पंप पर नौकरी की, जिसके लिए उन्हें 300 रुपये का मासिक वेतन मिलता था. कुछ ही वक्त में वो पेट्रोल पंप के मैनेजर बन गए लेकिन उनका दिमाग हमेशा नौकरी के बजाय बिजनेस के आइडिया तलाशता था.

धीरूभाई अंबानी

-यमन में आजादी के लिए चल रहे आंदोलन के चलते वहां जिंदगी आसान नहीं रही जिसके बाद वो 1954 में भारत लौट आए. एक बिजनेस बनने का सपना उनके दिल में बैठ चुका था. कहते हैं कि यमन से घर लौटने के बाद 500 रुपये लेकर वो मुंबई रवाना हो गए.

-व्यवसाय शुरू करने के लिए उनके पास रकम नहीं थी इसलिये अपने मामा के साथ मसालों और शक्कर का व्यापार शुरू किया. यहीं पर रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन की नींव पड़ी.

-इसके बाद उनकी रिलायंस कंपनी ने सूत का करोबार शुरू किया. जल्द ही वो बम्बई में सूत व्यापार के सिरमौर बन गए. इस बिजनेस में जोखिम को देखते हुए उनके मामा ने उनका साथ छोड़ दिया. लेकिन कंपनी पर कोई फर्क नहीं पड़ा

-धीरूभाई अब बाजार की नब्ज पहचान चुके थे. उन्होंने देखा कि भारत में बाहर से पॉलिएस्टर और विदेशों में भारत के मसालों की बहुत मांग थी और यहां से उन्हें बिजनेस का आइडिया आया.

-1966 में रिलायंस टैक्सटाइल्स की शुरुआत हुई. इसी साल कंपनी ने अहमदाबाद में एक टेक्सटाइल मिल लगाई. जहां कपड़े बनाने में पॉलिएस्टर के धागों का इस्तेमाल हुआ. धीरूभाई अंबानी ने कपड़ों के ब्रांड विमल की शुरुआत की.

-विमल कंपनी का नाम उनके बड़े भाई रमणीकलाल अंबानी के बेटे विमल अंबाना के नाम पर रखा गया था. बड़े पैमाने पर कंपनी का प्रचार किया और जल्द ही विमल ब्रांड ने लोगों के बीच अपनी पहचान बना ली.

-1977 में रिलायंस का आईपीओ जारी करने की बात हो या फिर सरकार से पॉलिएस्टर निर्माण का लाइसेंस हासिल करने की, धीरूभाई सफलता की सीढ़िया चढ़ते गए. कहते हैं कि रिलायस में निवेश के लिए उन्होंने गुजरात ही नहीं दूसरे राज्यों को लोगों को भी आश्वस्त किया और उस वक्त 58,000 से ज्यादा लोगों ने निवेश किया था.

-धीरूभाई के रहते हुए रिलायंस कंपनी पेट्रोलियम, दूरसंचार, ऊर्जा, कपड़, पूंजी बाजार समेत कई क्षेत्रों में अपने कदम जमा चुकी थी. लोगों का भरोसा भी कंपनी में बढ़ रहा था. बढ़ते लाभ को देखते हुए लोग कंपनी में निवेश करने लगे थे.

-धीरूभाई अंबानी की शादी कोकिलाबेन से हुई. उनके दो बेटे मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी और दो बेटियां नाना कोठारी और दीप्ति सल्गावकर हैं.

-बढ़ते बिजनेस के बीच उनका स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा था. 6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया. कहते हैं कि उस वक्त उनकी संपत्ति 62 हजार करोड़ रुपये से अधिक थी.

-साल 2016 में भारत सरकार ने धीरूभाई अंबानी को मरणोपरांत देश के दूसरे सर्वोच्च सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.

धीरूभाई अंबानी

धीरूभाई अंबानी से जुड़े दिलचस्प किस्से

धीरूभाई अंबानी पर सरकार की नीतियों को प्रभावित करने और नीतियों की कमियों से लाभ कमाने के आरोप लगते रहे. लेकिन धीरूभाई अंबानी का जीवन किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है, यही वजह है कि बॉलीवुड में गुरु नाम से उनके जीवन से प्रेरित एक फिल्म भी बन चुकी है. जिसमें अभिषेक बच्चन ने अहम भूमिका निभाई थी. धीरूभाई अंबानी हमेशा सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए बड़ा और आगे की सोचने की बात हमेशा कहते थे. उनकी सपने देखने और लगन से उन्हें पूरा करने के दृढ़ निश्चय ने ही उन्हें धीरूभाई अंबानी बनाया. उनसे जुड़े रोचक किस्से बताते हैं कि अपने सपनों को लेकर वो कितना सजग और मेहनती थे.

-घर की आर्थिक हालत ठीक ना होने पर उन्होंने छोट-मोटे काम करने शुरू किए लेकिन उन्हें तो बिजनेस करना था भले ही छोटा हो. उन्होंने पास के ही धार्मिक स्थल पर पर्यटकों की भीड़ को देखते हुए वहां पकौड़े बेचने शुरू कर दिए. हालांकि इस काम को छोड़कर वो आगे बढ़ते रहे.

-कहते हैं कि यमन में जिस पेट्रोल पंप पर धीरूभाई काम करते थे वहां के कर्मचारी 25 पैसे वाली चाय पीते थे लेकिन वो पास के एक बड़े होटल में चाय पीने जाते थे जहां एक रुपये की चाय मिलती थी. जब उनसे इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि होटल में बड़े-बड़े व्यापारी आते हैं और बिजनेस की बातें करते हैं, मैं उनकी बातें सुनकर व्यापार की बारीकियां समझता हूं.

-रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन नाम की कंपनी शुरू में 350 वर्ग फुट का एक कमरा थी, जिसमें तीन कुर्सी, दो सहयोगी, एक टेलिफोन और एक मेज थी. लेकिन आज वो रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की सबसे बड़ी कंपनी है.

-यमन के पेट्रोल पंप पर उनकी पहली तनख्वाह 300 रुपये मासिक थी. जब उनका निधन हुआ तो उनकी संपत्ति 62,000 करोड़ से अधिक थी.

-धीरूभाई अंबानी ने अपने सपने को साकार करने के लिए उन्होंने किसी काम को छोटा नहीं समझा. पकौड़ों से लेकर पेट्रोल तक बेचा.

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