सवालों के घेरे में चमोली सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चमोली (उत्तराखंड): चमोली में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) में करंट फैलने से हुई 16 लोगों की मौत के मामले में रोजाना नई-नई बातें सामने आ रही हैं. साथ ही घटना के जिम्मेदारों की भी गिरफ्तारी की जा रही है. इस बीच यूपीसीएल के कोठियालसैंण में तैनात अधिशासी अभियंता अमित सक्सेना के बयान ने एक बार फिर चमोली में संचालित अभी एसटीपी को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है.
उन्होंने बताया कि हादसे के दिन जिस कर्मचारी ने बिजली का शटडाउन वापस लिया था, वह यूपीसीएल का कर्मचारी ही नहीं था. वह आउटसोर्सिंग एजेंसी के द्वारा रखा गया श्रमिक था, जो कि नॉन टेक्निकल होता है. महेंद्र सिंह नाम के उस श्रमिक को इन दिनों पुलिस के द्वारा प्रकरण में दोषी पाते हुए गिरफ्तार किया गया है.
श्रमिकों को बनाया लाइनमैन: अमित सक्सेना ने आगे बताया कि साल 2017 से स्वयं सहायता समूह के माध्यम से उनकी डिवीजन (कोठियालसैंण) में कई श्रमिक कार्य कर रहे हैं. इसमें ठेकेदार के कुल 9 कर्मचारी विद्युत विभाग कोठियालसैंण में कार्यरत हैं. इसमें दो कर्मचारी घरों में मीटर रीडिंग का कार्य करते हैं और बाकी के 7 श्रमिक के पद पर कार्यरत हैं. इसमें अधिकांश कर्मचारी नॉन टेक्निकल है. इन्हीं लोगों से टेक्निकल यानी लाइनमैन का कार्य भी करवाया जाता है. कहीं न कहीं इस दुर्घटना का मुख्य कारण ये भी देखा जा रहा है.
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6 महीने में 385 यूनिट बिजली हुई खर्च: विद्युत विभाग के ईई अमित सक्सेना ने यह भी बताया कि चमोली के एसटीपी प्लांट पर बीपीएल परिवार के विद्युत कनेक्शन से भी कम बिजली की खपत होती थी. महीनों के हिसाब से अगर बिजली रीडिंग के आंकड़े देखे जाए तो जनवरी माह में 25 यूनिट, फरवरी में 96, मार्च में 40, अप्रैल में 37, मई में 119 और जून में 68 यूनिट बिजली खर्च हुई है. जबकि प्रत्येक एसटीपी प्लांटों में ट्रांसफार्मरों के साथ थ्री फेस कनेक्शन लगे हुए हैं.
ईई अमित सक्सेना ने यह भी बताया कि एसटीपी की क्षमता के अनुसार एसटीपी 8 घंटे प्रतिदिन कार्य करती है तो एक महीने में 8 हजार यूनिट बिजली की खपत होगी. लेकिन जिस हिसाब से रीडिंग आ रही है, उससे यही माना जा सकता है कि एसटीपी चलती ही नहीं थी.
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