दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

यमुना की बाढ़ ने पकड़वाए थे दो कुख्यात अपराधी रंगा और बिल्ला, दोनों को 1982 में दी जा चुकी है फांसी - Agra Crime News

आगरा में बहुचर्चित चोपड़ा भाई बहन हत्याकांड में फरार रंगा और बिल्ला आगरा में बाढ़ के वक्त पकडे़ गए थे. आगरा में यमुना की बाढ़ और कुख्यात रंगा-बिल्ला का क्या कनेक्शन है? आईए जानते हैं उसकी रोचक कहानी चलिए इसकी कहानी आपको बताते है.

Etv Bharat
Etv Bharat

By

Published : Jul 19, 2023, 5:26 PM IST

आगरा:यमुना में जब भी पानी खतरे के निशान के करीब पहुंचता है या उसे पार करता है तो खूब तबाही मचती है. आज से 45 साल पहले यानी 1978 में यमुना की बाढ़ ने खूब तबाही मचाई थी. जिन्होंने बाढ़ का मंजर देखा था वो आज भी उसे सोचकर सहम जाते हैं. लेकिन, उस समय की बाढ़ ने दो कुख्यात अपराधी भी पकड़वाए थे. उस समय कुख्यात अपराधी रंगा और बिल्ला की वजह से देश में भूचाल आया हुआ था. आगरा में यमुना की बाढ़ और कुख्यात अपराधी रंगा-बिल्ला से जुड़ा एक बेहद दिलचस्प किस्सा भी है.

1978 में यमुना की बाढ़ का मंजर

कुख्यात अपराधी जसवीर सिंह उर्फ बिल्ला और कुलजीत सिंह उर्फ रंगा बंबई (मुंबई) से 26 अगस्त-1978 को दिल्ली आए थे और धौला कुआं के ऑफिसर्स क्वाटर्स निवासी सेना में कैप्टन एमएम चोपड़ा की बेटी गीता और बेटे संजय चोपड़ा का अपहरण कर लिया था. दोनों के लिए रंगा-बिल्ला ने फिरौती भी मांगी थी. लेकिन, दोनों की हत्या कर दी थी और दिल्ली से फरार हो गए थे. दिल्ली से फरार होने के बाद रंगा-बिल्ला मुंबई पहुंचे थे. लेकिन, दिल्ली पुलिस दोनों को तलाशते हुए वहां भी पहुंच गई थी.

1978 में यमुना की बाढ़ ने मचाई थी काफी तबाही.

मुंबई से भागकर आए थे आगराःइस पर दोनों मुंबई से भागकर आगरा पहुंच गए थे. यहां पर वे यमुना पार स्थित सीता नगर में जाकर छुप गए. दोनों इस हत्याकांड में घायल हुए थे. उन्हें टांके भी लगे थे. जिन्हें उन्होंने आगरा के एक निजी चिकित्सक से कटवाया था. कुछ दिन बाद यहां से निकलकर किसी सुरक्षित स्थान पर दोनों के जाने का प्लान था लेकिन, उसी दौरान यमुना नदी में बाढ़ आ गई. इसमें सीता नगर चारो तरफ से पानी से घिर गया था.

इसे भी पढ़े-Crime News : अमेठी में बीजेपी नेता की पीट पीटकर निर्मम हत्या, भाई का पहले हो चुका है मर्डर

आगरा में यमुना की बाढ़ की वजह से दोनों फंस गए: वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना बताते हैं कि, सात-आठ सितंबर 1978 की रात यमुना ब्रिज स्टेशन पर कालका मेल रुकी तो रंगा और बिल्ला उसमें चढ़ गए. दोनों गलती से ट्रेन के फौजियों वाले डिब्बे में सवार हो गए. जिस पर दोनों की सैनिकों से हाथापाई हो गई. सैनिकों ने दोनों को दबोच कर बंधक बना लिया. क्योंकि, ट्रेन के गार्ड आलोक गुप्ता और टीटीई ने समाचार पत्रों में प्रकाशित फोटो के आधार पर रंगा बिल्ला की पहचान कर ली थी. इसलिए, दोनों को पकड़ कर दिल्ली पहुंचकर पुलिस के सुपुर्द कर दिया था.

1978 में यमुना की बाढ़.

पहली बार आगरा के लोगों ने देखा था स्टीमरःइसके बाद दिल्ली पुलिस शिनाख्त और सबूत जुटाने के लिए अपने साथ स्टीमर से अपराधी रंगा और बिल्ला को लेकर आगरा आई थी. आगरा के लोगों ने तब पहली बार रंगा और बिल्ला के साथ ही स्टीमर भी देखा था. इसी बहुचर्चित हत्याकांड में 30 जनवरी-1982 को रंगा और बिल्ला को तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी दी गई थी.

रंगा-बिल्ला को पोस्टर

रंगा और बिल्ला की हुई थी खूब चर्चा:वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना बताते हैं कि, दिल्ली पुलिस ने कुख्यात रंगा और बिल्ला से पूछताछ की. जिसमें दोनों ने तमाम सनसनीखेज खुलासे किए. दिल्ली पुलिस अपने साथ स्टीमर से रंगा और बिल्ला को लेकर 13 सितंबर-1978 को आगरा लेकर आई. यहां पर यमुना की बाढ़ में बेलनगंज में दस फीट पानी था. दिल्ली पुलिस अपने साथ रंगा और बिल्ला को लेकर जीवनी मंडी, भैंरो बाजार, यमुना किनारा समेत कई जगह लेकर आई थी. दिल्ली पुलिस दोनों को लेकर चर्चित चोपड़ा हत्याकांड में उपयोग किए गए हथियार बरामद कराने के लिए आई थी. पुलिस ने दोनों के घाव के टांके काटने वाले डॉक्टर की भी तलाश की थी.

चोपड़ा भाई बहन

पहचान और सबूत जुटाने लाई थी पुलिस:आगरा उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक पुरषोत्तम खंडेलवाल बताते हैं कि, सन 1978 की बाढ़ में पुराना शहर डूब गया था. तब कुख्यात अपराधियों रंगा और बिल्ला की पहचान और पूछताछ के लिए दिल्ली पुलिस स्टीमर से भैंरो बाजार आई थी. तब भैरों बाजार में केनरा बैंक की शाखा हुआ करती थी.

यह भी पढे़-पाकिस्तानी सीमा हैदर से ATS ने पूछे ये 13 सवाल, जवाब सुनकर हैरान हुए अफसर

ABOUT THE AUTHOR

...view details