हैदराबाद: भारत इस वक्त कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का कहर झेल रहा है. रोजाना रिकॉर्ड तोड़ मामलों के साथ रिकॉर्ड तोड़ मौत के मामलों ने सबको चिंता में डाल दिया है. इस बीच मशहूर मेडिकल जर्नल लांसेट ने एक रिपोर्ट में कोरोना से निपटने के प्रयासों को लेकर भारत सरकार और उसकी तैयारियों पर सवाल खड़े किए हैं.
कोरोना की दूसरी लहर से लड़ रहा भारत
रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे भारत में रिकॉर्डतोड़ मामले आ रहे हैं और इस वक्त दुनिया में अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा कोरोना मरीज भारत में है. भारत में 4 अप्रैल को 1 लाख नए केस सामने आए जो 21 अप्रैल को 3 लाख के पार पहुंच गए. महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों का हवाला देकर बताया गया है कि लॉकडाउन लगा दिया गया है और कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर करने और ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद चल रही है.
कई शहरों में स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा धराशायी हो चुका है जिसके बाद राज्यों में लॉकडाउन और कर्फ्यू लगाया गया. कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच ऑक्सीजन प्लांट लगाने से लेकर दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाया जा रहा है. रिपोर्ट में पीएम मोदी की मन की बात का हवाला देते हुए बताया गया है कि पीएम मोदी ने 25 अप्रैल को कहा था कि ''देश में दिन रात अस्पताल, वेंटिलेटर, दवाओं जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं पर दिन रात काम हो रहा है''.
दूसरी लहर की अनदेखी की गई
रिपोर्ट में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं कि साल 2021 में एक राय नीति निर्माताओं से लेकर मीडिया और जनता के बीच बन गई कि भारत ने महामारी पर काबू पा लिया है. यहां तक कि वैज्ञानिकों ने भी इस बात का प्रचार किया. यह धारणा की कोई दूसरी लहर नहीं होगी, इसने पाबंदियों को हटाकर आर्थिक विकास के लिए बाजार खोलने और पाबंदियों को हटाने का बल दिया.
चुनावी रैलियों में उमड़ी भीड़
इस साल जनवरी-फरवरी में कोरोना के मामले बहुत कम थे लेकिन मार्च में सार्वजनिक समारोहों में भीड़ उमड़ने लगी. पांच राज्यों के चुनावों की घोषणा के बाद देश के प्रधानमंत्री के समेत कई सियासी दलों के नेताओं ने सैंकड़ों जनसभाएं और रैलियां की.
रिपोर्ट में बंगाल की एक चुनावी रैली में पीएम मोदी के एक बयान का जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि मैंने इतनी भीड़ किसी रैली में नहीं देखी. चुनाव अभियान के दौरान उनकी पार्टी के नेता उनकी जनसभाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचा रहे थे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग रैली में पहुंचे.
चुनाव आयोग और कुंभ के आयोजन पर सवाल
रिपोर्ट में भारत के निर्वाचन आयोग पर भी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि चुनावों के आयोजन के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है. महामारी के दौरान बड़ी-बड़ी रैलियां और रोड शो हुए लेकिन इस ओर आयोग ने कोई ध्यान नहीं दिया. सिर्फ चुनाव के आखिरी हफ्ते में ही रोड शो और रैलियों पर कार्रवाई की बात कही हालांकि नेताओं को 500 लोगों के साथ पब्लिक मीटिंग की अनुमति दी गई.