नैनीताल : सजायाफ्ता कैदियों को संतानोत्पत्ति का अधिकार है या नहीं इस सवाल पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय गहन विचार करेगा. मुख्य न्यायाधीश आर. एस. चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने पॉक्सो कानून के तहत 20 साल की सजा काट रहे एक कैदी द्वारा परिवार शुरू करने के लिए जमानत का अनुरोध करने पर सुनवाई के दौरान उक्त बात कही.
अदालत कैदी की जमानत अर्जी उसके अपराध की गंभीरता को देखते हुए पहले दो बार बार खारिज कर चुका है.
जमानत अर्जी में कहा गया है कि सात साल पहले जेल भेज जाने के समय उसकी शादी को केवल तीन महीने हुए थे, ऐसे में उसे परिवार शुरू करने का मौका नहीं मिला.
हालांकि, इसपर अदालत ने कहा कि ऐसे कई मामले हैं जिनका सभी पहलुओं से परीक्षण करने की जरुरत है.