चेन्नई :मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को व्यवस्था दी कि राष्ट्रीय ध्वज का चित्रण करने वाला एक बड़ा केक काटना और उसे खाने को संबंधित अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध नहीं माना जा सकता.
न्यायमूर्ति एन आनंद और न्यायमूर्ति वेंकटेश ने यह व्यवस्था कोयंबटूर में एक पुलिसकर्मी से एक आपराधिक मूल याचिका स्वीकार करते हुए दी और कहा कि ऐसे कृत्य को राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 की धारा 2 के तहत अपराध नहीं माना जा सकता.
2013 में क्रिसमस पर कटा गया था केक
25 दिसंबर, 2013 को कोयंबटूर में क्रिसमस का जश्न मनाने के लिए आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में छह फुट लंबा और पांच फुट चौड़ा केक कथित तौर पर काटा गया था जिस पर लगी आइसिंग से भारतीय मानचित्र और तिरंगा झंडा बनाया गया था जिसके बीच में अशोक चक्र बना था.
इसे विशेष मेहमानों और 1000 बच्चों सहित लगभग 2,500 प्रतिभागियों के बीच वितरित किया गया था. जिसे सभी ने खाया था. कोयंबटूर जिला कलेक्टर और एक डीसीपी भी उस समारोह में शामिल हुए थे.
इसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बताते हुए हिंदू पब्लिक पार्टी के डी सेंतिल कुमार ने पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी. जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने स्थानीय मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया जिसने 17 फरवरी, 2017 को अधिनियम की धारा 2 के तहत अपराध के लिए संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और एक अंतिम रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया.
हाईकोर्ट ने ये की टिप्पणी
इसके खिलाफ स्थानीय इंस्पेक्टर ने वर्तमान याचिका के साथ उच्च न्यायालय का रुख किया. इसे स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि देशभक्ति एक भौतिक कार्य द्वारा निर्धारित नहीं होती. कृत्य के पीछे की मंशा सही परीक्षा होगी और संभव है कि कभी-कभी कृत्य ही उसके पीछे की मंशा को प्रकट करता है.