नई दिल्ली :न्यायालय ने दो अभियुक्तों की मौत की सजा को 30 साल की उम्रकैद ( death sentence of two accused to 30 years of life imprisonment) में बदल दिया है. दोनों अभियुक्तों को 2007 के एक हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी और उस घटना में आठ लोग मारे गए थे.
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की एक पीठ ने दोषियों द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया. याचिका में सर्वोच्च अदालत के अक्टूबर 2014 के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया गया था जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया था.
पीठ में न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना भी शामिल थे. उच्च न्यायालय ने जुलाई 2009 के अपने आदेश में निचली अदालत द्वारा दो याचिकाकर्ताओं को सुनायी गयी मौत की सजा को कायम रखा था. सर्वोच्च अदालत ने याचिकाकर्ताओं मोफिल खान और मुबारक खान को सुनाई गई मौत की सजा को 30 साल के लिए आजीवन कारावास में बदल दिया.
पीठ ने समीक्षा याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि उपरोक्त सभी बिन्दुओं पर विचार करते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि याचिकाकर्ताओं के सुधार की कोई संभावना नहीं है. हालांकि संपत्ति विवाद के कारण अपने भाई के पूरे परिवार की बिना उकसावे के और सुनियोजित तरीके से नृशंस हत्या को ध्यान में रखते हुए हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता 30 साल के लिए सजा के पात्र हैं.