नई दिल्ली :ईटीवी भारत के साथ बातचीत में निदेशक, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन दिल्ली के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि यदि सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच सामंजस्य स्थापित होता है तो भारत यह उम्मीद कर सकता है कि जब वे पाकिस्तान राज्य प्रायोजित आतंकवाद की नीति का इस्तेमाल साधन के रुप में कर सकता है.
भारत को उम्मीद होगी कि जैसे सऊदी अरब की विदेश नीति व्यावहारिक हो गई है. पाकिस्तान भी उसका पालन करेगा और भारत के साथ ऐसे पड़ोसी के रूप में सामने आएगा, जिसके साथ अब वह प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता है. सुलह के प्रयास भारत को पाकिस्तान के साथ राजनयिक स्थिरता स्थापित करने में मदद कर सकते हैं.
भारत का सऊदी अरब के साथ बहुत महत्वपूर्ण संबंध है, जो पिछले कुछ वर्षों में नाटकीय बदलाव आया है. हमने हाल के वर्षों में सऊदी अरब को भारत के पक्ष में लगभग झुकते देखा है जो कि पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब के घनिष्ठ संबंधों को देखते हुए काफी अभूतपूर्व है.
यह स्वाभाविक है कि पाकिस्तान गुस्से में है क्योंकि कश्मीर मुद्दे पर जब भारत ने अनुच्छेद 370 को रद्द किया तब सऊदी अरब ने इस मुद्दे पर पाक की मदद नहीं की. भारत सऊदी के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है और जहां तक भारत का संबंधों की बात है तो सऊदी अरब के साथ इसके संबंध काफी आगे बढ़ रहे हैं.
पिछले हफ्ते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सऊदी अरब की तीन दिवसीय यात्रा पर थे. जिसका उद्देश्य पारंपरिक रूप से तनावपूर्ण संबंधों पर चर्चा और सुधार की थी. खान ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों के साथ-साथ सामान्य हित के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की.
खान की यात्रा से पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने भी सऊदी अरब का दौरा किया. खान और बाजवा दोनों की यात्रा बताती है कि देश सऊदी अरब के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों को तेज कर रहा है. क्योंकि पाकिस्तान आर्थिक रूप से सऊदी अरब पर निर्भर है.
पाकिस्तान को अपनी नाजुक अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सऊदी तेल और धन की निरंतरता की आवश्यकता है. इस बीच सऊदी अरब भी कश्मीर सहित सभी मुद्दों को हल करने के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत पर जोर दे रहा है.