कोलकाता :भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के एक पत्र से विवाद उपजता दिख रहा है. स्वामी ने पीएम मोदी के लिखे गए पत्र में राष्ट्रगान (जन गण मन...) को बदले जाने की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि राष्ट्रगान बदलने की मांग केवल उनकी ही नहीं है, बल्कि देश के युवाओं का एक बड़ा हिस्सा ऐसा चाहता है.
स्वामी ने प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र प्राप्त होने का जवाब ट्वीट किया. उन्होंने आशा जताई कि 23 जनवरी, 2021 के पहले उनके पत्र पर कार्रवाई हो जाएगी.
12 दिसंबर को स्वामी का ट्वीट स्वामी की पहल से टैगोर परिवार हैरत में
स्वामी की इस पहल पर टैगोर परिवार की वंशज सुप्रियो टैगोर ने आश्चर्य जताया है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी मांग बेतुकी है. सुप्रियाे ने कहा, 'मैंने कभी ऐसा नहीं सुना है. राष्ट्रगान बहुत सोच समझकर बनाया गया है. मैं सोच भी नहीं सकता कि इसे बदला जा सकता है और कोई दूसरा कवि राष्ट्रगान लिखेगा. यह बहुत दुखद है.' राष्ट्रगान जैसी रचना न कभी हुई है और न कभी की जा सकती है.
इस मामले में विश्वभारती की पूर्व कुलपति सबुजकली सेन ने भी स्वामी के बयान को हास्यास्पद बताते हुए उनकी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि सुब्रमण्यम स्वामी अपने बयानों के लिए प्रसिद्ध हैं. सेन ने कहा, 'जिस भाजपा नेता ने राष्ट्रगान में बदलाव की मांग की है, वह विवाद पैदा करके खुद को सुर्खियों में लाना चाहते हैं.'
स्वामी के बयान की आलोचना की उन्होंने कहा कि खुद को सुर्खियों में लाने के लिए स्वामी ने रवींद्रनाथ को एक नरम लक्ष्य के रूप में चुना है. सबुजकली ने सवाल किया कि यदि स्वामी की आपत्ति 'सिंधु' शब्द को लेकर है तो क्या इतिहास को बदलना इतना आसान है?
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सबुजकली सेन ने कहा कि सिंधु नदी एक दिन भारत में थी और यह गीत उसी समय लिखा गया था. वह नेताजी के गीत को राष्ट्रगान बनाना चाहते हैं लेकिन अगर नेताजी वहां होते तो वह इसे बदलना नहीं चाहते. उन्होंने कहा, 'वास्तव में, जो लोग इन बातों को कहते हैं, वे रवींद्रनाथ के सिद्धांत 'dibe aar nibe, milabe milibe' में विश्वास नहीं करते हैं.'
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सेन ने टैगोर की कविता से लिए गए काव्यांश-- (dibe aar nibe...) के संबंध में कहा कि गुरुदेव ने विविधता में एकता का संदेश देने की कोशिश की है. सेन ने कहा कि भाजपा एकता के सिद्धांत में यकीन नहीं करती.
स्वामी के पत्र का पहला पन्ना दरअसल, स्वामी ने विगत एक दिसंबर को पीएम को भेजे अपने पत्र में लिखा है कि रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित वर्तमान राष्ट्रगान के कुछ शब्द असमंजस पैदा करते हैं. उन्होंने राष्ट्रगान में सिंधु शब्द के प्रयोग को लेकर भी आपत्ति दर्ज कराई है.
स्वामी के पत्र का दूसरा पन्ना