नई दिल्ली: तिब्बत की निर्वासित सरकार (Tibetan Government in Exile) की मेजबानी वाले समारोह में शामिल होने वाले कई भारतीय सांसदों को चीनी दूतावास द्वारा पत्र (Chinese Embassy Letter) लिखे जाने के मुद्दे पर शुक्रवार को तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और कई प्रमुख सांसदों ने चीनी मिशन की आलोचना करते हुए कहा कि यह मामला उसके दायरे में नहीं आता है.
पिछले सप्ताह दिल्ली में ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत (all party indian parliamentary forum for tibet) के इस कार्यक्रम में कम से कम 6 सांसदों ने भाग लिया था. इसमें केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर, बीजेपी नेता मेनका गांधी और के सी राममूर्ति, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश और मनीष तिवारी और बीजद सांसद सुजीत कुमार शामिल हुए थे. इसके बाद ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम के कुछ सदस्यों को चीनी दूतावास द्वारा लिखे गए पत्र में समारोह में हिस्सा लेने पर चिंता व्यक्त की गई थी और उनसे तिब्बती ताकतों को समर्थन देने से बचने को कहा गया था.
चीन की चिट्ठी पर उठे सवाल
फोरम के संयोजक सुजीत कुमार ने कहा कि भारतीय सांसदों को पत्र लिखना चीनी दूतावास के दायरे में नहीं आता है. इस मामले में सरकार की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है. सामान्य तौर पर भारत अपने देश के आंतरिक मामले में किसी विदेशी दूतावास की टिप्पणी को स्वीकार नहीं करता है. चीनी दूतावास का यह पत्र ऐसे समय में आया है जब पहले से ही पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं .
बीजू जनता दल (BJD) सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि उन्हें पत्र नहीं मिला है लेकिन कई अन्य सांसदों को पत्र मिला है. उन्होंने बताया, 'मैं व्यक्तिगत रूप से पत्र को विशेषाधिकार हनन के तौर पर देखता हूं.' उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब चीनी दूतावास ने इस तरह से लिखा है, वह पहले भी कई अवसरों पर लिख चुका है. कुमार ने कहा कि भारतीय सांसदों को पत्र लिखना दूतावास के दायरे में नहीं आता है. अगर कोई मुद्दा था तो वे विदेश मंत्रालय को लिख सकते थे. यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है.
उन्होंने कहा कि तिब्बत की निर्वासित सरकार के साथ भारतीय सांसदों की मुलाकात राजनीतिक सम्पर्क नहीं था और इसका मकसद संस्कृति और कारोबार संबंधों को बढ़ावा देना था .उन्होंने कहा कि हमने विदेश मंत्रालय या भारत सरकार की ओर से तिब्बत की निर्वासित सरकार के साथ मुलाकात नहीं की थी . हम राजनीतिक गतिविधि से जुड़ना नहीं चाहते बल्कि लोगों से लोगों के बीच सम्पर्क को बढ़ावा देना चाहते हैं .
कुमार ने कहा कि फोरम का इरादा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की यात्रा करने और आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा से मुलाकात करने का नहीं है.