नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है. किसानों के साथ बातचीत करने के लिए कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति गठित की है. समिति को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता और महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फेंस में कहा, ' किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंता व्यक्त की है हम उसका स्वागत करते हैं. लेकिन जब चार सदस्यीय समिति की बात आती है तो यही दिखता है कि इन सभी चार सदस्यों को कृषि कानूनों के पक्ष में एक सार्वजनिक स्टैंड लेने के लिए जाना जाता है. ऐसी समिति किसानों के लिए न्याय कैसे कर सकती है?'
उन्होंने दावा किया कि 'इस समिति के पहले सदस्य अशोक गुलाटी जो कृषि अर्थशास्त्री हैं ने एक कॉलम लिखा है जिसमें कहा है कि तीन कानून कृषि क्षेत्र के लिए लाभकारी हैं और विपक्षी दल किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.'
प्रमोद जोशी के कालम का किया जिक्र
अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी के बारे में सुरजेवाला ने दावा किया कि उन्होंने अपने एक मत में लिखा था कि तीन कानून बिल्कुल सही हैं और न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं होना चाहिए. सुरजेवाला ने पीके जोशी के कॉलम का जिक्र भी किया, जिसमें किसानों की मांग को 'अतार्किक' और 'अव्यवहारिक' कहा है. कालम में लिखा है कि घोषित कीमतों पर वस्तुओं की खरीद संभव नहीं है क्योंकि सरकार को पूरे वर्ष सभी वस्तुओं की खरीद के लिए बड़ा नेटवर्क बनाना होगा और प्रचलित करने के लिए स्टॉकिंग और निपटान की व्यवस्था करनी होगी.
समिति के तीसरे सदस्य अनिल घनवंत भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं. उनके बारे में कांग्रेस नेता ने दावा किया कि उन्होंने 2 अक्टूबर, 2020 को शेतकारी संगठन की ओर से खेत कानूनों के पक्ष में प्रदर्शन का आयोजन किया था. उन्होंने एक पत्र भी प्रस्तुत किया जिसमें घनवत ने कहा था कि ये कानून किसानों की 'वित्तीय स्वतंत्रता' की दिशा में पहला कदम है.