शिमला: हिमाचल कांग्रेस की सियासत में 2022 के चुनाव (Himachal Assembly Elections 2022) नया मोड़ साबित होंगे. इस बार पार्टी के कुछ दिग्गज चुनाव मैदान में नहीं दिखेंगे. सबसे बड़ा चेहरा जो चुनावी रण में प्रत्यक्ष दिखने की बजाय पोस्टरों में ही नजर आएगा, वो वीरभद्र सिंह का होगा. दशकों के सियासी सफर में वीरभद्र सिंह हर चुनाव के जिज्ञासा के केंद्र में रहे हैं. कांग्रेस के लिए बिना वीरभद्र सिंह हिमाचल में पहला चुनाव है. बेशक उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को हाईकमान ने हिमाचल में पार्टी का मुखिया (Himachal Congress President Pratibha Singh) बनाया है, लेकिन वीरभद्र सिंह जैसी मंझी हुई सियासत प्रतिभा सिंह को सीखने में लंबा समय लगेगा.
अकेले दम पर चुनाव का रुख पलटने में माहिर थे वीरभद्र सिंह: वीरभद्र सिंह अकेले अपने दम पर चुनाव का रुख पलटने में माहिर थे. वर्ष 2012 का चुनाव इसका गवाह है. उस समय प्रदेश में कांग्रेस की पोजीशन मजबूत नहीं थी. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली सरकार का कामकाज संतोषजनक था और भाजपा मिशन रिपीट के लिए निश्चिंत लग रही थी. ठीक उसी समय वीरभद्र सिंह केंद्र की राजनीति से हिमाचल में आए. उन्होंने अध्यक्ष पद संभाला और चुनाव के समय टिकट वितरण में अपने समर्थकों को आगे बढ़ाने में सफल रहे. तब वीरभद्र सिंह ने प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से हाईकमान तक ये संदेश पहुंचा दिया था कि टिकट वितरण में बहुत अधिक हस्तक्षेप उन्हें मंजूर नहीं होगा.
वीरभद्र सिंह के रहते कांग्रेस को नहीं पड़ी स्टार प्रचारक की जरूरत:वीरभद्र सिंह ने खुद शिमला ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र (Shimla Rural Assembly Constituency) से चुनाव लड़ा. वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में जाने की बजाय प्रदेश भर में दौरे करते रहे. कांग्रेस के सभी नेता अपने चुनाव क्षेत्र में वीरभद्र सिंह की जमसभा के लिए कतार में खड़े रहे. वीरभद्र सिंह ने प्रदेश भर का दौरा कर भाजपा का मिशन रिपीट डिलीट कर दिया और कांग्रेस सत्ता में आ गई. वीरभद्र सिंह के मौजूद रहते हुए न तो कांग्रेस को किसी स्टार प्रचारक की जरूरत पड़ी और न ही चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस हाईकमान को सीएम के पद पर किसी का नाम सोचने की आवश्यकता रही. खैर, अब परिस्थितियां अलग हैं. (Congress on BJP Mission Repeat in Himachal)
अभी भी जनता के दिलों में है वीरभद्र सिंह का नाम:वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस में कोई एक सर्वमान्य व शक्तिशाली लीडर प्रदेश स्तर पर नहीं है. राजनीतिक गलियारों में कहा जाता था कि वीरभद्र सिंह में इतने समर्थ थे कि शेर और बकरी को एक घाट पानी पिलाते थे. यानी पार्टी में मजबूत व कमजोर, सभी नेताओं को नाथ कर रखते थे. कांग्रेस नेता जानते हैं कि वीरभद्र सिंह का नाम अभी भी जनता के दिलों में है. यही कारण है कि प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बनने की चिट्ठी जब जारी हुई तो उनका नाम प्रतिभा वीरभद्र सिंह लिखा गया. (Former Himachal CM Virbhadra Singh)