देहरादून: नैनीताल हाईकोर्ट के एक फैसले से उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया है. मामला कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज के कालागढ़ में अवैध पेड़ कटान और अवैध निर्माण समेत वित्तीय अनियमितता का है. इस मामले में हाईकोर्ट ने देहरादून निवासी अनु पंत व स्वत: संज्ञान वाली दो याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की, और प्रकरण के सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. खास बात ये है कि सीबीआई जांच का आदेश होने के बाद इस मामले में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. इससे पहले पिछले दिनों तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के ठिकानों पर विजिलेंस की टीम ने भी छापेमारी की थी. अब एक बार फिर से हरक सिंह रावत जांच के दायरे में आ गए हैं जो घटना के समय बीजेपी सरकार में थे लेकिन अभी कांग्रेस पार्टी में हैं.
अलग-अलग संस्थाओं ने की जांच:दरअसल, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरो रेंज अवैध पेड़ कटान मामले को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस मामले में सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए थे. इसके अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्रालय समेत NTCA और NGT के अलावा वन विभाग भी इस पर जांच कर कोर्ट में रिपोर्ट दे चुका है. नैनीताल हाईकोर्ट में देहरादून निवासी अनु पंत नाम की याचिकाकर्ता ने भी प्रकरण पर सीबीआई जांच करवाने की मांग की थी, और कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान भी लिया था. बहस के बाद आज हाईकोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं.
क्या कहते हैं याचिकाकर्ता के अधिवक्ता:याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि, इस मामले का नैनीताल हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से कार्रवाई करने को कहा था. फिर दिसंबर 2021 में अनु पंत ने याचिका दायर कर दोषी अफसरों पर कार्रवाई करने की मांग की थी, जिसपर कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए थे. लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तब कोर्ट ने फिर से मुख्य सचिव को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया, तब जाकर DFO किशन चंद पर एक्शन हुआ. लेकिन तब भी तत्कालीन वन मंत्री पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ. अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि, उच्च न्यायालय ने ये नोट किया है कि जो तथ्य उनके सामने पेश किए गए उसके आधार पर ये केस बेहद गंभीर है और इसलिए CBI नई दिल्ली इसकी जांच करे.
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कांग्रेस की प्रतिक्रिया :मामले को लेकर सबसे खास बात ये है कि प्रकरण में एक हफ्ते पहले ही विजिलेंस की टीम ने हरक सिंह रावत के दो ठिकानों पर छापेमारी की थी. यहां से सरकारी धन से खरीदे गए दो जनरेटर बरामद किए गए थे. अब इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश होने के बाद राजनीतिक भूचाल आना लाजमी है. उधर, मामले को लेकर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने हाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है लेकिन बड़े ही नपे तुले शब्दों में उन्होंने सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच की उम्मीद भी की है. उधर दूसरी तरफ कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंहने कहा कि, सीबीआई और ईडी हमेशा से ही भाजपा सरकार के हाथों की कठपुतली रही है. इस बार भी विजिलेंस ने जिस तरह हरक सिंह रावत के ठिकानों पर छापेमारी की वह विपक्षी दल के नेता पर प्रतिशोध के तहत की गई कार्रवाई थी.
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क्या है कॉर्बेट अवैध पेड़ कटान मामला: साल 2019-20 में बीजेपी की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार के दौरान पाखरो में टाइगर सफारी के लिए 106 हेक्टेयर वन भूमि पर काम शुरू किया गया था. उत्तराखंड सरकार ने इस टाइगर सफारी प्रोजेक्ट के लिए साल 2019 में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी मांगी थी. सरकार ने कहा था कि इस प्रोजेक्ट के लिए केवल 163 पेड़ काटे जाएंगे, लेकिन बाद में हुई जांच में पता चला कि इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए.
सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में उठा था मामला:सबसे पहले ये मामला एक वन्यजीव कार्यकर्ता गौरव बंसल ने दिल्ली हाईकोर्ट में उठाया था. इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 अगस्त 2021 को एनटीसीए को निर्देश दिया था कि याचिका में उठाए गए मुद्दों पर गौर करें. कोर्ट के निर्देश पर एनटीसीए ने 5 सितंबर 2021 को एक समिति गठित की थी. इस समिति ने सितंबर 2021 में ही कॉर्बेट पार्क का निरीक्षण किया और 22 अक्टूबर 2021 को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. रिपोर्ट में एनटीसीए ने विजिलेंस जांच के साथ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात की भी कही थी. नैनीताल हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2021 में मामले का स्वत: संज्ञान लिया.