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कोरोना से लड़ने में कारगर हो सकता है बिच्छू घास : रिसर्च

कोरोना वायरस से लड़ने में बिच्छू घास कारगर हो सकता है. सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के एक शोध में यह निकलकर सामने आया है.

बिच्छू घास
बिच्छू घास

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Published : Dec 3, 2020, 7:36 AM IST

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में बिच्छू घास पर एक शोध किया गया, जिसमें बिच्छू घास में 23 ऐसे यौगिक मिले हैं, जो कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर साबित हो सकते हैं.

कारगर हो सकता है बिच्छू घास.

यह शोध पत्र स्विट्जरलैंड की वैज्ञानिक शोध पत्रिका स्प्रिंगर नेचर के मॉलिक्यूलर डाइवर्सिटी में प्रकाशित हुआ है. सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक एवं शोध प्रमुख डॉ. मुकेश सामंत ने बताया कि बिच्छू घास में पाए आने वाले 110 यौगिकों की मॉलिक्यूलर डॉकिंग विधि द्वारा काफी स्क्रीनिंग की गई, जिसके बाद 23 यौगिक ऐसे पाए गए जो हमारे फेफड़ों में पाए जाने वाले एसीइ-2 रिसेप्टर से जुड़े हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि ये कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं. वर्तमान में इन यौगिकों को बिच्छू घास से निकालने का काम चल रहा है. उसके बाद इन यौगिकों को लेकर क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा.

डॉ. मुकेश सामंत ने बताया कि इस शोध में उनके साथ राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के डॉ. अवनीश कुमार एवं सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के शोधार्थी शोभा उप्रेती, सतीश चंद्र पांडेय और ज्योति शंकर ने कार्य किया है.

इस नए शोध से सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेन्द्र सिंह भंडारी एवं योग एवं नेचुरोपैथी के विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन भट्ट ने सराहना की है.

बिच्छू घास के बारे में जानें
बिच्छू घास उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में उगता है. ये एक जंगली पौधा है, लेकिन घरों के आसपास और रास्तों के किनारे अपने आप उग जाता है. इसको जब छूते हैं तो करंट जैसा अनुभव होता है. इसका वैज्ञानिक नाम Urtica dioica है.

पहाड़ों में बनाते हैं सब्जी
बिच्छू घास की पहाड़ों में सब्जी भी बनाई जाती है. इसकी सब्जी पोषक तत्वों से भरपूर और औषधीय गुणों वाली होती है. लॉकडाउन में पलायन कर अपने घर पहुंचे प्रवासी बिच्छू घास से हर्बल चाय भी बना रहे हैं.

बिच्छू घास से बन रहे जैकेट और शॉल
बिच्छू घास यानी हिमालय नेटल से जैकेट, बैग, स्कार्फ, शॉल और स्टॉल तैयार किए जा रहे हैं. उत्तराखंड के चमोली और उत्तरकाशी जिलों में कई स्वयं सहायता समूह बिच्छू घास के तने से रेशा निकाल कर विभिन्न प्रकार के उत्पाद बना रहे हैं.

बिच्छू घास के उत्पादों की विदेश में डिमांड
बिच्छू घास से बने जैकेट, बैग, स्कार्फ, शॉल और स्टॉल की विदेश में बहुत डिमांड है. अमेरिका, रूस, नीदरलैंड और न्यूजीलैंड जैसे देशों में निकट भविष्य में इसका व्यापार बढ़ने की पूरी संभावना है.

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