जयपुर :मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार की ओर से बनाए गए तीनों नए कृषि कानूनों, राजस्थान सरकार की ओर से उनमें किए गए संशोधनों और किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंदोलनरत किसानों की बात सुनने और केंद्रीय कृषि कानूनों पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
गहलोत ने लिखा है कि केंद्र सरकार की ओर से इन तीनों कानूनों को किसानों और विशेषज्ञों से चर्चा किए बिना ही लाया गया. संसद में विपक्षी पार्टियों की ओर से इन कानूनों को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग को भी सरकार ने नजरअंदाज किया. इन अधिनियमों में न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं है, जिसके कारण किसानों में अविश्वास पैदा हुआ है. प्राइवेट मंडियों के बनने से दीर्घ काल से चली आ रही कृषि मंडियों का अस्तित्व भी खत्म हो जाएगा. इसके कारण किसानों को अपनी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा.
मुख्यमंत्री ने राजस्थान सरकार की ओर से तीनों नए कृषि कानूनों और सिविल प्रक्रिया संहिता में किए गए संशोधनों के बारे में भी लिखा है. राज्य सरकार ने इन संशोधनों में किसानों के हित को सर्वोपरि रखा है और कृषि विपणन व्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया है. राजस्थान ने संविदा खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग) में भी न्यूनतम समर्थन मूल्य का प्रावधान किया है.
किसी विवाद की स्थिति में पूर्ववत मंडी समितियों और सिविल न्यायालयों के पास सुनवाई का अधिकार होगा, जो किसानों के लिए सुविधाजनक है. मंडी प्रांगणों के बाहर होने वाली खरीद में भी व्यापारियों से मंडी शुल्क लिया जाएगा. संविदा खेती की शर्तों का उल्लंघन या किसानों को प्रताड़ित करने पर व्यापारियों और कंपनियों पर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 7 साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है.