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SC : अपने छोटे से कार्यकाल में सीजेआई यूयू ललित ने लाए बड़े बदलाव - सीजेआई का सबसे छोटा कार्यकाल

सीजेआई यूयू ललित ने कई पुराने मामलों को सूचीबद्ध किया, पूरे साल काम करने के लिए संविधान पीठों का गठन किया और अदालत के सीमित काम के वक्त का अधिकतम उपयोग किया. उनके छोटे कार्यकाल के कारण उनसे बहुत कुछ की उम्मीद नहीं की जा सकती थी, लेकिन उन्होंने साबित कर दिया कि मात्रा से अधिक हमेशा गुणवत्ता की आवश्यकता होती है. पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता मैत्री झा की ये रिपोर्ट....

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Published : Oct 25, 2022, 6:41 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित का सीजेआई (CJI UU Lalit) के रूप में 75 दिनों का छोटा कार्यकाल आठ नवंबर को समाप्त होने वाला है. अपने संक्षिप्त लेकिन सार्थक कार्यकाल में उन्होंने ऐसे-ऐसे मामलों को निपटाया, जिससे एक मिसाल कायम हो गई. उन्होंने वर्षों पुराने मामलों को उपयुक्त पीठों के समक्ष सूचीबद्ध किया. उनके कार्यकाल में भले ही पीठें देर से बैठती थीं, लेकिन दोपहर के भोजन के दौरान भी मामलों की सुनवाई करती थीं और मुकदमों की तत्काल सुनवाई कर उनका निपटारा करती थीं.

प्रत्येक न्यायालय के समक्ष प्रतिदिन 50 से अधिक मामले सूचीबद्ध हो रहे हैं और सभी अदालतें सभी दिनों में कार्य कर रही हूं. न्यायाधीश उनके सामने सूचीबद्ध सभी मामलों को समाप्त करने के लिए अतिरिक्त वक्त भी देते हैं. पिछले हफ्ते सीजेआई ललित के नेतृत्व वाली पीठ आम्रपाली मामले की सुनवाई के लिए अदालत के गैर-कार्य दिन यानी शनिवार पर भी बैठी थी, क्योंकि कार्य दिवसों पर विभिन्न कारणों से इसकी सुनवाई नहीं हो सकी थी.

कई न्यायाधीशों ने अक्सर अपने बयान में कहा है कि लंबी छुट्टियों और कम अदालती घंटों के कारण उनके काम को कम करके आंका जाता है, लेकिन लोग यह जानते कि न्यायाधीश पूरे दिन मामलों पर काम करते हैं. यहां तक कि अदालत बंद हो जाती है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि जजों का काम भी समाप्त हो जाता है. वहीं, सीजेआई ललित के कार्यकाल के साथ अदालत के वक्त व्यस्त और लंबे होने लगे और अदालत के काम आसान होने की धारणा यहीं बदल गई.

कई बार ऐसा हुआ है कि सूची को देर से अपडेट किया गया और मामलों को सूचीबद्ध किया गया है, जिससे अधिवक्ताओं को परेशानी होती है क्योंकि वे हमेशा अल्प सूचना पर तैयार नहीं होते हैं. संविधान पीठ के मामले जो पूर्व सीजेआई के कार्यकाल में पिछड़ गए थे, पूरे जोरों पर हैं और मामलों की नियमित आधार पर सुनवाई की जाती है, उनमें से कई निपटाया जा रहा है. आरक्षण से संबंधित मामले, चुनावी बॉन्ड जो महत्वपूर्ण थे और अधिवक्ताओं द्वारा सूचीबद्ध की मांग हो रही थी, अंततः सूचीबद्ध और सुने गए. अगस्त के अंत में जब सीजेआई ललित ने पदभार संभाला, तो शीर्ष अदालत के समक्ष 71,411 मामले लंबित थे और अक्टूबर के महीने में यह संख्या 69,461 हो गई. वहीं, कई महत्वपूर्ण मामले अभी भी बाकी हैं, जिन पर सीजेआई ललित सुनवाई करेंगे. लेकिन अगले छह कार्य दिनों में उनके समाप्त होने की संभावना नहीं है.

कुछ ऐसे मामले जैसे कि, बिना चुनाव चिन्ह वाले ईवीएम, हर जिले में विशेष भ्रष्टाचार निरोधक अदालत, समयबद्ध न्याय के लिए न्यायिक चार्टर, कानून आयोग में नियुक्ति, राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहारों पर बैन, हिंदुओं के लिए अल्पसंख्यक का दर्जा मांगने वाली याचिकाएं आदि सीजेआई ललित की पीठ के समक्ष छुट्टी के बाद सूचीबद्ध होंगी. ज्यादातर मामलों में केवल अंतरिम निर्देश ही पारित किए जा सकते हैं क्योंकि वे अभी भी बहस के समापन के करीब नहीं हैं. इसके बाद सीजेआई के अनुसार अलग-अलग बेंचों को मामले आवंटित किए जाएंगे.

पूर्व सीजेआई एन. वी. रमणा की सेवानिवृत्ति के दौरान सीजेआई यूयू ललित ने अपने भाषण में कहा था कि उनके लिए जस्टिस रमणा जैसी लोकप्रियता हासिल करना मुश्किल होगा. लेकिन अब यूयू ललित के कार्यकाल को सबसे अधिक उत्पादक कार्यकालों में से एक के रूप में याद किया जाएगा, क्योंकि पिछले तीन सीजेआई के कार्यकाल में कम से कम मामलों को अक्सर लंबित रहे और बेंच अक्सर शाम चार बजे (अदालत के बंद होने का समय) से पहले ही उठती थीं.

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