नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि यह महाराष्ट्र या दिल्ली का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है, यह भारत का सर्वोच्च न्यायालय है, जो एक जन-केंद्रित अदालत है, बहुभाषी नहीं. मुख्य न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और एसवीएन भट्टी के लिए आयोजित एक अभिनंदन समारोह में बोलते हुए इस बात पर जोर दिया कि कॉलेजियम का एक मिशन यह सुनिश्चित करना है कि भारत की समृद्धि और विविधता का प्रतिनिधित्व हो.
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत एक बहुभाषी अदालत नहीं है, बल्कि यह एक जन-केंद्रित अदालत है और लोग न्यायपालिका पर तभी भरोसा करना शुरू करेंगे जब वे न्याय देने वाले लोगों में अपना प्रतिबिंब देखेंगे. उन्होंने कहा, 'हमें अपने समाज की दर्पण छवि को प्रतिबिंबित करना जारी रखना होगा.' मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्याय वितरण को बढ़ाने का एक तरीका सक्षम न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करना है, खासकर उन लोगों को जिन्होंने न्यायपालिका की सेवा में अपने जीवन के कई वर्ष समर्पित किए हैं और कहा, 'यह महाराष्ट्र या दिल्ली का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है. यह भारत का सर्वोच्च न्यायालय है.'
मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा, 'यहां हमारा उद्देश्य यह प्रतिबिंबित करना है कि यह न्यायालय भारत की विविधता को दर्शाता है. मेरा मानना है कि यह कॉलेजियम के मिशनों में से एक रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम भारत की समृद्धि और विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने कहा कि कई लोग बहुभाषी अदालत होने के कारण शीर्ष अदालत की आलोचना करते रहे हैं लेकिन आइए दूसरा पहलू देखें. हमारे बहुभाषी न्यायालय होने का कारण यह है कि कोई भी दो न्यायाधीश एक जैसे नहीं होते हैं.