दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

चीनी सहायता ने पूर्वोत्तर उग्रवाद में नया उत्साह पैदा किया

इस तथ्य के बावजूद कि पूर्वोत्तर में विद्रोह संबंधित हिंसा स्तर में काफी गिरावट आई है. म्यांमार में सैन्य अधिग्रहण और विद्रोहियों को चीनी सहायता ने नए सिरे से पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद की स्थिति को नया जीवन प्रदान किया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

Chinese
Chinese

By

Published : May 9, 2022, 5:00 PM IST

Updated : May 9, 2022, 7:04 PM IST

नई दिल्ली: ऐसे समय में जब कई विद्रोही समूहों ने बातचीत के लिए इच्छा व्यक्त की है, अचानक मणिपुर में विद्रोह का पुनरुत्थान चिंता का कारण बन गया है. फरवरी 2021 के सैन्य अधिग्रहण के माध्यम से म्यांमार में विद्रोहियों को नए सिरे से चीनी सहायता, भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण बन गई है.

ईटीवी भारत से बात कर रहते हुए दक्षिण एशियाई सुरक्षा और आतंकवाद के शीर्ष विशेषज्ञ जयदीप सैकिया ने कहा कि विद्रोही खेल में चीन के फिर से प्रवेश के परिणामस्वरूप भारतीय विद्रोही समूहों को अचानक नया उत्साह मिला है. वे समझ गये हैं कि वे पूर्वी क्षेत्र में भारत को पछाड़ नहीं सकते. इसलिए वे पूरे पूर्वोत्तर में एक छद्म युद्ध शुरू करना चाहते हैं. सैकिया के पास राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) में पूर्वोत्तर भारत के विशेषज्ञ के रूप में कार्यकाल है.

चीनी सहायता ने पूर्वोत्तर उग्रवाद में नया उत्साह पैदा किया

उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर विद्रोहियों के बहुत महत्वपूर्ण नेता मुख्य रूप से उल्फा और मणिपुर के पीएलए जैसे परेश बरुआ और मनोहर मयूम युन्नान जैसी जगहों पर शरण ले रहे हैं. जहां वे सुरक्षा बलों के खिलाफ और आने वाले समय में शायद नागरिकों के खिलाफ अभियान चलायेंगे. जैसा कि 1990 के दशक के अंत और 20 के दशक के मध्य में हुआ था. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आंदोलन को संचालित करने के लिए सुरक्षित क्षेत्र प्राप्त करने की तलाश में माओवादी मध्य भारत से पूर्वोत्तर के रास्ते चीन तक एक लाल गलियारा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

असम के सिलचर से शीर्ष माओवादी नेता अरूप कुमार भट्टाचार्य की गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए सैकिया ने कहा कि उनका (अरूप कुमार भट्टाचार्जी उर्फ ​​कंचन दा) का मुख्य उद्देश्य मध्य भारत से पूर्वोत्तर के रास्ते चीन तक एक लाल गलियारा बनाना था. इस तथ्य के बावजूद कि शेख हसीना की अवामी लीग भारत की मित्रवत सरकार है, युन्नान (दक्षिण-पश्चिमी चीन में एक प्रांत) से हथियार आ रहे हैं, जहां से ट्रोलर्स उन्हें चटगांव बंदरगाह तक ले जाया जाता है.

यह भी पढ़ें- राजद्रोह कानून के प्रावधानों की फिर से समीक्षा करने का फैसला लिया गया: केंद्र का SC में जवाब

सैकिया ने कहा कि भारतीय विद्रोही समूह मध्य भारत के माओवादियों के लिए हथियार के रूप में काम कर रहे हैं. मिजोरम और पूर्वोत्तर के अन्य स्थानों से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद की जब्ती के बारे में बात करते हुए सैकिया ने कहा यह सभी युन्नान से है. पीएलए वास्तव में भारतीय विद्रोहियों या माओवादियों सहित जो कोई भी हथियार खरीदना चाहता है, को अपने छोटे हथियारों बेचने की कोशिश कर रहा है.

Last Updated : May 9, 2022, 7:04 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details