नई दिल्ली: ऐसे समय में जब कई विद्रोही समूहों ने बातचीत के लिए इच्छा व्यक्त की है, अचानक मणिपुर में विद्रोह का पुनरुत्थान चिंता का कारण बन गया है. फरवरी 2021 के सैन्य अधिग्रहण के माध्यम से म्यांमार में विद्रोहियों को नए सिरे से चीनी सहायता, भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण बन गई है.
ईटीवी भारत से बात कर रहते हुए दक्षिण एशियाई सुरक्षा और आतंकवाद के शीर्ष विशेषज्ञ जयदीप सैकिया ने कहा कि विद्रोही खेल में चीन के फिर से प्रवेश के परिणामस्वरूप भारतीय विद्रोही समूहों को अचानक नया उत्साह मिला है. वे समझ गये हैं कि वे पूर्वी क्षेत्र में भारत को पछाड़ नहीं सकते. इसलिए वे पूरे पूर्वोत्तर में एक छद्म युद्ध शुरू करना चाहते हैं. सैकिया के पास राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) में पूर्वोत्तर भारत के विशेषज्ञ के रूप में कार्यकाल है.
उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर विद्रोहियों के बहुत महत्वपूर्ण नेता मुख्य रूप से उल्फा और मणिपुर के पीएलए जैसे परेश बरुआ और मनोहर मयूम युन्नान जैसी जगहों पर शरण ले रहे हैं. जहां वे सुरक्षा बलों के खिलाफ और आने वाले समय में शायद नागरिकों के खिलाफ अभियान चलायेंगे. जैसा कि 1990 के दशक के अंत और 20 के दशक के मध्य में हुआ था. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आंदोलन को संचालित करने के लिए सुरक्षित क्षेत्र प्राप्त करने की तलाश में माओवादी मध्य भारत से पूर्वोत्तर के रास्ते चीन तक एक लाल गलियारा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.