नई दिल्ली : गलवान घाटी हिंसक (Galwan valley violent ) घटना की बरसी (anniversary) से चार दिन पहले और एक जुलाई को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party of China) की स्थापना की 100वीं वर्षगांठ और एक अगस्त को चीन के सेना दिवस (China's Army Day) से कुछ दिन पहले, चीनी राज्य के स्वामित्व वाले टीवी मीडिया ने एक युद्ध के दृश्य दिखाए, जिसमें 15 जून, 2020 को भारतीय सैनिकों के साथ लड़ने वाले रेजिमेंटल कमांडर को घायल कर दिया गया था.
इससे पहले 19 फरवरी को भी चीनी राज्य के स्वामित्व वाले मीडिया ने एक प्रोपागेंडा वॉर (propaganda war) का वीडियो जारी किया था, जिसमें पीएलए के शिनजियांग सैन्य कमान के रेजिमेंटल कमांडर (regimental commander) क्यूई फाबाओ (Qi Fabao) को भारत के सैनिकों द्वारा हमलावरों के रूप में दिखाया गया था.
पीएलए के चार कर्मी, चेन होंगजुन (Chen Hongjun), चेन जियानग्रोंग (Chen Xiangrong), जिओ सियुआन (Xiao Siyuan ) और वांग झुओरान(Wang Zhuoran) की विवाद के दौरान मौत हो गई थी, जबकि चीन द्वारा नुकीले क्लबों, पत्थरों और लोहे की छड़ों से किए गए इस हमले में भारत ने अपने 20 सैनिकों को खो दिया था, जिनमें कमांडिंग ऑफिसर कर्नल (commanding officer Colonel) बी संतोष बाबू (B Santosh Babu) भी शामिल थे.
दृश्य शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय सैन्य बैठक (high-level military honorary meeting) में दिखाए गए थे, जहां क्यूई को यह कहते हुए दिखाया गया था कि हम एक इंच क्षेत्र देने के बजाय अपने जीवन का बलिदान दे सकते हैं ... अगर सेना एक तेज तलवार (sharp sword) है, तो साहस और सिपाही एक तलवार की धार (blade of the sword) हैं.
बैठक का आयोजन चीन के शीर्ष सैन्य निर्णय लेने वाले निकाय केंद्रीय सैन्य आयोग (Central Military Commission ) के राजनीतिक कार्य विभाग द्वारा किया गया था.
CMC के माध्यम से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) पीएलए की नागरिक निगरानी करती है.
गौरतलब है कि ठीक एक दिन पहले ही चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (National People's Congress ) ने एक विशेष कानून पारित किया था, जिसमें चीन में सैन्य कर्मियों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा (the dignity and rights of military personnel ) करने की मांग की गई थी.