नई दिल्ली:भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अलो लिबांग ने बुधवार को कहा कि चीनी सेना अरुणाचल प्रदेश में जमीन पर कब्जा करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है.
नई दिल्ली में एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए लिबांग ने कहा कि 'कई मौकों पर चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना हमेशा करारा जवाब देती है. वास्तव में, सेना और आईटीबीपी की मौजूदगी के कारण चीन अरुणाचल प्रदेश में जमीन पर कब्जा करने में हमेशा विफल रहता है.'
यहां यह उल्लेखनीय है कि केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश में एलएसी के साथ नई आईटीबीपी बटालियनों को मजबूत करने का प्रस्ताव दिया है. बल को एलएसी के अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में बनने वाली अपनी नई सीमा चौकियों के लिए लगभग 8,000 कर्मियों वाली सात नई बटालियनों की मंजूरी मिलने की उम्मीद है. अरुणाचल प्रदेश, चीन के साथ 1,126 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है.
टीकाकरण में अरुणाचल की स्थिति
अरुणाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कोविड-19 महामारी से निपटने और उससे लड़ने की रणनीतियों पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली में थे. लिबांग ने कहा कि उनका राज्य कोविड-19 टीकाकरण में अच्छी प्रगति कर रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के छह जिलों में 50 प्रतिशत से भी कम लोगों ने कोरोना वैक्सीन की पहली डोज ली है. तीन जिलों में 50-77 प्रतिशत के बीच पहला डोज का टीकाकरण दर्ज किया गया. पांच जिलों में 77-85 प्रतिशत टीकाकरण हुआ है, वहीं 11 जिलों में 85 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण हुआ है.
कोरोना से लड़ाई पर ये बोले असम के स्वास्थ्य मंत्री
इस बीच, असम के स्वास्थ्य मंत्री केशव महंत ने कहा कि राज्य Covid19 महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में अच्छा कर रहा है. उन्होंने कहा कि असम के 14 जिलों में पहली खुराक का 85 प्रतिशत से अधिक टीकाकरण हुआ, जबकि सात जिलों में पहली खुराक का 77-85 प्रतिशत टीकाकरण हुआ. हालांकि, महंत ने कहा कि गुवाहाटी मेट्रो में कोविड के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है. महंत ने कहा, 'मेट्रो में स्पाइक इसलिए हो रहा है क्योंकि दूसरे शहरों से लोग गुवाहाटी आ रहे हैं हालांकि, हम स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी कदम उठा रहे हैं.'
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लेकिन विडंबना यह है कि असम के 20 जिलों में कोरोना की दूसरी डोज लेने वालों का आंकड़ा 33 प्रतिशत से भी कम है, जबकि 13 जिलों में ये 33 प्रतिशत से कुछ अधिक है.