छिंदवाड़ा। एमपी में भ्रष्टाचार की अहम कड़ी रहे बाबूओं ने अब अपनी बीवियों को भी इस गोरखधंधे में शामिल कर लिया है. छिंदवाड़ा में जब एक स्कैम का खुलासा हुआ तो मालूम चला कि शिक्षा विभाग में बाबूओं और BEO ने मिलकर रिटायर्ड कर्मचारियों की राशि अपनी बीवियों के खाते में ट्रांसफर करवा देते थे. इसके पहले छिंदवाड़ा विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने बाबुओं के साथ मिलकर 65 लाख का गबन किया था. अब 43 लाख रुपए का गबन सामने आया है पहले जिला कलेक्टर ने इस मामले में 8 लोगों के खिलाफ एफआईआर करवाई थी. अब 6 आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करने कहा है, जिसमें इनकी बीवियां भी शामिल हैं.
भ्रष्टाचार के गोरखधंधे में पत्नियों को भी किया शामिल जाएंगी जेल!: शिक्षा विभाग के बाबू ने भ्रष्टाचार के गोरखधंधे में अपनी पत्नियों को भी शामिल कर लिया है. शिक्षा विभाग के जो कर्मचारी रिटायर हो जाते हैं, या फिर कई लोगों की नौकरी में रहते हुए मौत हो जाती है. ऐसे लोगों के परिजनों को मिलने वाले पैसे को अधिकारियों की मिलीभगत से बाबू अपनी पत्नियों के खाते में ट्रांसफर कराते थे. मामला जब उजागर हुआ तो बाबू की पत्नी पर भी FIR दर्ज की जा रही है. छिंदवाड़ा विकासखंड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में हुए 65 लाख के गबन के मामले में अनिल कुमार कुड़ोपा, सहायक ग्रेड-2, कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी छिंदवाडा की पत्नी अंजु कुड़ोपा पर मामला दर्ज हो चुका है, तो वहीं तामिया घोटाले के मास्टर माइंड हरिप्रसाद पंद्रे की पत्नी रहमा पन्द्रे पर भी FIR दर्ज करने कलेक्टर ने आदेश दिया है.
43 लाख के घोटाले में इन लोगों पर हुआ मामला दर्ज: तामिया बीईओ कार्यालय में हुए 43 लाख के फर्जीवाड़े में कलेक्टर मनोज पुष्प ने एफआईआर के आदेश अधिकारियों को दिए हैं. इस प्रकरण में वर्तमान व पूर्व बीईओ, एक रिटायर्ड कर्मचारी और दो बाबूओं के अलावा घोटाले के मास्टर माइंड हरिप्रसाद पंद्रे की पत्नी पर भी FIR दर्ज कराई जाएगी. वहीं सभी आरोपियों से पूरे 43 लाख रुपए की रिकवरी होगी. शिक्षा विभाग की तरह जनजातीय कार्य विभाग के तामिया विकासखंड में भी 43 लाख रुपए की गड़बड़ी सामने आई थी. कोषालय अधिकारियों द्वारा ये वित्तीय अनियमितता पकड़ने के बाद पांच सदस्यीय दल का गठन प्रकरण में किया गया था.
इस मामले में सात लोग दोषी पाए गए, लेकिन इनमें से एक बीईओ की मृत्यु हो जाने पर छह के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा. एजुकेशन की तरह ट्राइबल में भी कर्मचारियों ने सरकारी राशि निजी खातों में डाल ली थी. गिनती के बाद कोषालय अफसरों ने 43 लाख रुपए की गड़बड़ी उजागर की है. इनमें मुख्य आरोपी हरिप्रसाद पंद्रे जिसे पूर्व में जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त द्वारा सस्पेंड कर दिया गया है. इसके अलावा आरोपी की पत्नी रहमा पंद्रे, पूर्व बीईओ तामिया आनंद धुर्वे, वर्तमान में बीईओ दिनेश शुक्ला, रिटायर्ड सहायक ग्रेड 3 हेमराज युवनाती, सहायक ग्रेड सुरेश कुमार के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाएगी.