रायपुर : छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए प्राइवेट अस्पतालों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए. छत्तीसगढ़ सीएम ने इसको लेकर जल्द कार्य योजना तैयार करने के निर्देश भी दिए हैं. इस पक्ष में तर्क ये दिया जा रहा है कि दूरस्थ इलाकों में जहां डॉक्टर नहीं जा सकते है, वहां प्राइवेट अस्पतालों के जरिए स्वास्थ्य सेवा बढ़ाई जाएगी.
सरकार के इस अहम कदम पर अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. कोरोना काल में इसे मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं, अगर ऐसा है तो वे इसके पक्ष में नहीं हैं. क्योंकि सरकार अगर जनता का पैसा निजी सेक्टरों में बांट देगी, साथ ही लोगों को अपने इलाज के भी अलग से पैसे देने होंगे, तो ये सरासर गलत है. टीएस सिंहदेव ने कहा इसका क्या फायदा और क्या नुकसान होगा, ये अलग विषय है.
पहली बार खुल कर सामने आया मतभेद
राजनीति में जितना कड़ा मुकाबला विरोधियों से होता है. उतनी कड़ी रेस घर के अंदर भी होती है. छत्तीसगढ़ की राजनीति में ढाई साल पहले कांग्रेस के हाथ सत्ता लगी थी. इसके बाद सीएम पद के लिए दो प्रबल दावेदार थे. इनमें से एक को ही सीएम पद की कुर्सी दी जा सकती थी. वो मिली भूपेश बघेल को, लेकिन उसके बाद से ही टीएस सिंहदेव को सरकार में दूसरा वर्ग मान लिया गया. इसकी सच्चाई क्या है. कह नहीं सकते, लेकिन ढाई साल में कई बार ऐसी स्थिति बनी जिससे दोनों ध्रुव आमने- सामने आ गए.
दरअसल, लंबे समय से मंच साझा न करना, कई अहम बैठकों में सिंहदेव का शामिल न होना. ग्रामीण इलाकों में निजी अस्पताल के मुद्दे पर टीएस सिंहदेव खुलकर बोले और कहा कि वे इस पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है. सरकार के ढाई साल पूरा होने के बाद ये बड़ा बयान आया है.
विपक्ष को कटाक्ष का बड़ा मौका मिला