रासायनिक आपदा निवारण दिवस आज, जानें भारत के बड़े रासायनिक हादसों के बारे में - रासायनिक आपदा निवारण दिवस का महत्व
देश-दुनिया ने कई भीषण आपदाओं को देखा है. कई प्रकार के आपदाओं में एक रासायनिक आपदा भी है. भारत के लोगों ने भोपाल गैस त्रासदी के रूप में सबसे बड़े रासायनिक आपदा का सामना किया है. भविष्य में रासायनिक आपदाओं को रोकने के लिए हर साल रासायनिक आपदा निवारण दिवस मनाया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..Chemical Disaster Prevention Day, Bhopal Gas Tragedy, Bhopal Gas Tragedy, Bhopal Tragedy.
हैदराबाद : 1984 का भोपाल गैस त्रासदी विश्व के सबसे के सबसे बड़े औद्योगिक हादसों में से एक है. इस हादसे के पीछए मुख्य कारण केमिकल सेफ्टी का अभाव है. केमिकल सेफ्टी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 4 दिसंबर को हर साल रासायनिक आपदा निवारण दिवस मनाया जाता है. हादसे के 10 साल बाद 4 दिसंबर 1998 को भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 4 दिसंबर को रासायनिक आपदा निवारण दिवस (Chemical Disaster prevention Day) मनाने का निर्णय लिया गया.
बता दें कि इन दिनों मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा रासायिनक हथियार है. अपने दुश्मनों से निपटने के लिए इन हथियारों को कब और कौन सा देश इस्तेमाल कर दे, यह कहना असंभव है. यह नहीं इसके रख-रखाव व हेंडलिंग में लापरवाही भी किसी बड़े रासायनिक आपदा को जन्म दे सकता है.
रासायनिक आपदा निवारण दिवस
पर्यावरण पर रासायनिक प्रभाव के बुरे प्रभाव
वायु प्रदूषण
मृदा क्षरण
जलवायु परिवर्तन
जैव विविधता हानि
मौसम में बदलाव
समुद्र स्तर का बढ़ना
खाद्य सुरक्षा प्रभावित होने का खतरा
पारिस्थितिकी तंत्र में पर्यावास विखंडन
पानी की कमी और पानी की कमी जल प्रदूषण
जंगल नष्ट होने के कारण प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी
रासायनिक संयंत्र में दुर्घटनाओं के कारण:
प्रबंधन त्रुटियां
तकनीकी त्रुटियां
मानवीय गलतियां
उपकरण विफलता
ऑपरेटर की गलती
परिवहन के दौरान दुर्घटनाएं
अपर्याप्त सुरक्षा समीक्षा/विश्लेषण
प्राकृतिक आपदाओं का प्रेरित प्रभाव
खतरनाक अपशिष्ट प्रसंस्करण/निपटान
चेतावनियों को नजरअंदाज किया जाना
आतंकवादी हमले/अशांति के कारण तोड़फोड़
श्रमिक नियम और उनमें संशोधन के माध्यम से
भारत में प्रमुख रासायनिक दुर्घटनाएं:
बॉम्बे डॉक्स विस्फोट (1944):14 अप्रैल 1944 को मालवाहक एसएस फोर्ट स्टिकिन, एक माल लेकर जा रहा था. कई टन विस्फोटक, कपास की गांठें, सोना और गोला-बारूद के मिश्रित माल में अचानक से आग लग गई. बम्बई के विक्टोरिया डॉक में दो बड़े विस्फोट हुए. विस्फोट के बाद जहाज डूब गया. इस हादसे में 800 लोग मारे गए व 80000 के करीब लोग बेघर हो गए.
चासनाला खनन आपदा (1975): 27 दिसंबर 1975 को चासनाला में एक भीषण विस्फोट हुआ. धनबाद (पूर्व में बिहार) में कोलियरी में 372 लोग मारे गए थे. उपकरण से निकली चिंगारी के कारण ज्वलनशील मीथेन गैस की एक थैली में आग लग गई. इस दौरान खदान में डूबने से कई लोग मलबे में फंस गए थे.
यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी (1984) : यह अब तक की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक है. अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी के स्वामित्व वाले एक कीटनाशक संयंत्र से 40 टन मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था. इस हादसे में 5295 लोगों की मृत्यु हुई, वहीं 527894 लोग प्रभावित हुए.
कोरबा चिमनी ढहने (2009):23 सितंबर 2009 को 45 लोगों की मौत हो गई थी. भारत एल्युमीनियम कंपनी (बाल्को) के पावर प्लांट में निर्माणाधीन चिमनी ढह गई. छत्तीसगढ़ के कोरबा में जब यह संरचना शीर्ष पर ढह गई तो यह 240 मीटर की ऊंचाई तक पहुंच गई थी. हादसे वाले क्षेत्र में लगातार बारिश और बिजली गिरने के कारण 100 से अधिक श्रमिकों की मौत हो गई.
जयपुर ऑयल डिपो में आग (2009): 29 अक्टूबर 2009 को इंडियन ऑयल में तेल में आग लग गई. जयपुर के बाहरी इलाके में सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में निगम (आईओसी) डिपो का विशाल टैंक में12 लोगों की मौत हो गई. इस दौरान 130 के करीब लोग घायल हो गए. आग डेढ़ सप्ताह से अधिक समय तक जारी रही. घटना के बाद लाखों लोगों को इलाके से निकाला गया.
मायापुरी रेडियोलॉजिकल दुर्घटना (2010):राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में विकिरण का एक बड़ा खतरा मंडराया था, जब रेडियोधर्मी के संपर्क में आने से एक व्यक्ति की मौत हो गई. वहीं 8 अन्य को एम्स में अस्पताल में भर्ती कराया गया.
विशाखापत्तनम एचपीसीएल रिफाइनरी ब्लास्ट (2013): 23 अगस्त 2013 को 23 लोग मारे गए, जब एक हाइड्रोकार्बन के बड़े स्टॉक में वेल्डिंग से निकली चिंगारी के कारण विस्फोट हुआ. विस्फोट के कारण विशाखापत्तनम में एचपीसीएल रिफाइनरी के पाइपलाइन में कूलिंग टावर ढह गया.
नागाराम गेल पाइपलाइन विस्फोट (2014):आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले के तटीय गांव नगरम में गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) में विस्फोट के बाद भीषण आग लग गई.
भिलाई स्टील प्लांट गैस रिसाव (2014):छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला स्थित के भिलाई इस्पात संयंत्र में एक जल पंप हाउस में मीथेन गैस पाइपलाइन में रिसाव के कारण छह लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक घायल हो गए थे.
तुगलकाबाद गैस रिसाव (2017): दक्षिण दिल्ली में तुगलकाबाद डिपो का सीमा शुल्क क्षेत्र में एक कंटेनर ट्रक से रासायनिक गैस रिसाव के बाद रानी झांसी स्कूल के लगभग 200 स्कूली बच्चे बीमार हो गये थे. इन लड़कियों को चार अस्पतालों में भर्ती कराया गया था.
कानपुर अमोनिया गैस रिसाव (2017): उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के शिवराजपुर में एक कोल्ड स्टोरेज में स्टोर किये गये अमोनिया का रिसाव हुआ था. इस घटना में पांच लोगों की मौत हो गई और नौ अन्य घायल हो गए थे. जब यह त्रासदी हुई तो वे इमारत के अंदर फंसे हुए थे और आलू की फसल का स्टॉक करने का इंतजार कर रहे थे.
बेलूर क्लोरीन गैस रिसाव (2017):मई 2017 में कर्नाटक के हासन के पास बेलूर के गंडेहल्ली में एक जल उपचार संयंत्र में क्लोरीन गैस रिसाव के बाद 10 से अधिक लोग बीमार पड़ गए और उन्हें अस्पताल ले जाया गया.
भिलाई स्टील प्लांट पाइपलाइन ब्लास्ट (2018): छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के भिलाई में स्टील प्लांट की दुर्घटना में 9 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 14 अन्य घायल हो गए.
एलजी पॉलिमर हादसा (2020) : आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम जिला में एलजी पॉलिमर में रासायनिक गैस रिसाव के कारण कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई. वहीं इस दौरान 5000 से अधिक लोग बीमार हो गए थे.