नवरात्रि के चौथे दिन देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है. मान्यता है कि कुष्मांडा माता ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की. इसीलिए उन्हें सृष्टि की मूल शक्ति के रूप में जाना जाता है. कुष्मांडा देवी का स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और आकर्षक माना जाता है. उनकी आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्हें अष्टभुजी भी कहते हैं. देवी कुष्मांडा के हाथों में धनुष, बाण, कमंडल , कमल-पुष्प, अमृत से भरा घड़ा, चक्र, गदा और जप की माला है. वह सभी सिद्धियों को देने वाली हैं. Navratri 2023 . Mata Kushmanda worship method .
देवी कुष्मांडा का वाहन सिंह है. मां की पूजा करने से भक्त के सभी कष्टों का नाश होता है. देवी कुष्मांडा को कुष्मांड ( कद्दू या Pumpkin या कुम्हड़ा ) अत्यंत प्रिय है इसलिए उन्हें इस नाम से पुकारा जाता है. देवी कुष्मांडा की सच्चे मन से पूजा-आराधना करने वाले भक्तों के सभी रोग और दुख दूर हो जाते हैं. Ma Kushmanda की उपासना से यश,बल,आयु-आरोग्य की वृद्धि होती है. माता का स्वभाव अत्यंत कोमल है. तो कोई भी भक्त जो सच्चे मन से उनका भक्त बन जाता है उसे लोक-परलोक में सर्वोच्च दर्जा (Ma Kushmanda worship) प्राप्त होता है.
देवी कुष्मांडा की पूजा से सभी रोग-दुखों का नाश
नवरात्रि की चतुर्थी को कुष्मांडा देवी की पूजा करने का विधान है. इनकी पूजा करने से सभी रोग और कष्ट दूर होते हैं, सिद्धि प्राप्त होती है और आयु और यश की वृद्धि होती है. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनकर धूप, चंदन, अक्षत, लाल फूल, गुलाब का फूल, सफेद कद्दू (कुम्हड़ा) फल, सूखे मेवे, नैवेद्य और शुभ वस्तुएं अर्पितकर मां कुष्मांडा का स्मरण करें. हरे रंग के वस्त्र पहनकर मां की पूजा करना अधिक शुभ माना जाता है.इससे भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं.