नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्र सरकार से पूछा कि कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित (affected due to covid 19 pandemic) हुए प्रवासी मजदूरों को विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के लिए उसके पास क्या योजना है. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ उनकी पहचान नहीं करना है बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि उन तक लाभ कैसे पहुंचे.
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ कोविड 19 महामारी के कारण प्रवासियों की समस्याओं और दुखों के संबंध में एक स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रही थी.
केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी (ASG Aishwarya Bhati) ने कोर्ट को बताया कि ई-श्रम पोर्टल के जरिए वे 28 करोड़ जरूरतमंद लोगों की पहचान करने में सफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से खाद्यान्न उपलब्ध करा रहा है. केंद्र सरकार व्यापक दिशा-निर्देश देती है और निगरानी के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ स्केल का उपयोग किया जा रहा है.
'हमें केवल इस बात से सरोकार है कि उन्हें लाभ पहुंचे' :इस पर जस्टिस शाह ने कहा कि 'हमें केवल इस बात से सरोकार है कि उन्हें लाभ पहुंचे... हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप कुछ नहीं कर रहे हैं...उत्कृष्ट कार्य किया गया...लेकिन यह जारी रहना चाहिए...खाद्यान्न उन लोगों तक पहुंचना चाहिए जिन्हें इसकी आवश्यकता है.' कोर्ट ने यह भी कहा कि 2011 की जनगणना को पहचान के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता क्योंकि कुछ की आय में वृद्धि हुई होगी और जरूरतमंदों की आबादी में वृद्धि हुई होगी.