नई दिल्ली :पश्चिम बंगाल में अप्रैल और मई में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. चुनाव आयोग ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा के नेतृत्व में चुनाव आयोग की टीम ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया.
इस दौरान चुनाव आयोग की टीम ने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की. जिसमें ज्यादातर दलों ने सुरक्षित मतदान के लिए पोलिंग बूथ पर वीडियोग्राफी की मांग की.
इसके अलावा राजनीतिक दलों की मांग है कि निष्पक्ष व शांतिपूर्ण चुनाव कराने के लिए राज्य में केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की जाए.
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए भी कहा.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग धनबल एवं बाहुबल के साथ ही सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता है.
सीईसी ने यह भी कहा कि चुनाव में किसी भी नागरिक पुलिस स्वयंसेवक की तैनाती नहीं की जाएगी.
चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ वर्तमान समय में विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए राज्य में है, जो अप्रैल-मई में होने की संभावना है. आयोग ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें कीं.
राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले हिंसा की घटनाओं के बारे में पूछे जाने पर आरोड़ा ने कहा कि हम गंभीर अपराधिक घटनाओं की समीक्षा करना चाहेंगे, जिनका राजनीतिक मकसद है और मामला दर मामला आधार पर उनकी जांच करेंगे.
राजनीतिक रैलियों और जुलूसों में पथराव की घटनाओं में शामिल लोगों के खिलाफ चुनाव आयोग द्वारा कार्रवाई करने के बारे में पूछे गए एक सवाल पर सीईसी ने कहा कि चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही आयोग कार्य कर सकता है. हम कई तरह के उपाय करेंगे और आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद बाइक रैली निकालने की अनुमति नहीं देंगे.
विपक्षी दलों ने पश्चिम बंगाल में चुनाव से पहले राजनीतिक हिंसा होने का दावा करते हुए चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि राज्य में चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों.
सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीएसएफ राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों को एक विशेष राजनीतिक दल के पक्ष में वोट डालने के लिए धमका रहा है.