दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

दक्षिण बंगाल सीमा पर मवेशियों की तस्करी पूरी तरह से रोकी : बीएसएफ

भारत बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा में मई 2021 तक पशु तस्करी की कोई घटना नहीं हुई है. सीमा सुरक्षा बल की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया है. पढ़ें पूरी खबर...

By

Published : Jun 17, 2021, 4:14 PM IST

Updated : Jun 17, 2021, 5:26 PM IST

cattle
cattle

कोलकाता/नई दिल्ली : इस साल पश्चिम बंगाल की दक्षिणी सीमा से बांग्लादेश में अबतक पशु तस्करी की एक भी घटना नहीं हुई है. साल 2014 में मोदी सरकार ने कहा था कि इस अपराध को किसी भी कीमत पर रोका जाए जिसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है.

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की कोलकाता स्थित दक्षिण बंगाल सीमांत की जिम्मेदारी भारत बांग्लादेश की 4,069 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा में से 913.32 किलोमीटर की रखवाली करने की है. उसने आधिकारिक आंकड़ों में दावा किया है कि मई 2021 तक इस सीमा से पशु तस्करी की कोई घटना नहीं हुई है.

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक दिसंबर 2014 को बीएसएफ के 49वें स्थापना दिवस के मौके पर बल से कहा था कि उसे किसी भी कीमत पर इस सीमा पर गायों और मवेशियों की तस्करी को रोकना चाहिए.

दिल्ली में बीएसएफ मुख्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ साझा की गई आंकड़ों से संबंधित रिपोर्ट पीटीआई भाषा के पास हैं. रिपोर्ट कहती है कि इस मोर्चे पर पशु तस्करी के जुर्म को 'काफी' नियंत्रित किया गया है. बांग्लादेश सरहद पर होने वाली कुल पशु तस्करी का 75 फीसदी इस सीमा से होती थी.

इस सीमा में पश्चिम बंगाल के पांच सरहदी जिले-उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, नादिया, मुर्शीदाबाद और माल्दा आते हैं और सिर्फ 405 किलोमीटर या 44.34 फीसदी सीमा पर ही बांड़ लगाई गई है जबकि बड़े हिस्से में नदियां हैं और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कुछ स्थानों पर गांव हैं.

आंकड़ों के मुताबिक, पशुओं की जब्ती की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. इस साल मई तक बीएसएफ कर्मियों ने 710 पशुओं को जब्त किया है जबकि 2017 में 51,443, 2018 में 38,657, 2019 में 29,720 और पिछले साल 5445 पशुओं को जब्त किया गया था.

उसमें बताया गया है कि इस मई तक इस सीमा से एक भी पशु बांग्लादेश नहीं पहुंचा है. रिपोर्ट कहती है कि किसी मवेशी की तस्करी नहीं हुई है और इस वजह से जेस्सोर, कुष्टिया और राजशाही जैसे बांग्लादेशी गलियारों में मवेशियों की कोई सरकारी नीलामी नहीं हुई है.

फ्रंटियर के मुख्य महानिरीक्षक (आईजी) अश्विनी कुमार सिंह से जब संख्या की प्रमाणिकता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आंकड़े विश्वसनीय हैं. उन्होंने कहा, यह आंकड़े लगभग विश्वसनीय है (हमारे अधिकार क्षेत्र में) इतनी लंबी सीमा है और हो सकता है कि 2-4 मवेशी बिना की किसी की नजर में आए (बांग्लादेश) चले गए हों, लेकिन मैं गारंटी दे सकता हूं कि सीमा पार के पशु तस्करों में से कोई भी इस साल सफल नहीं हुआ है.

सिंह ने कहा कि वे मवेशियों की तस्करी को शून्य पर लेकर आए हैं जबकि इस सीमा से पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश में कुल 75 प्रतिशत पशु तस्करी हो रही थी.

पढ़ें :-वन्यजीवों के आवास, वनों की रक्षा की खातिर हर संभव प्रयास करने चाहिए : पीएम मोदी

रिपोर्ट में कहा गया है कि मवेशियों की तस्करी में कमी के कारण बांग्लादेश में चमड़ा, बीफ और चीनी मिट्टी के सामान बनाने वाले उद्योग को 'बहुत नुकसान' हुआ है तथा वहां की सरकार ने किसानों और अन्य पशुपालकों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय पशुपालन को बढ़ावा दिया है.

सिंह ने कहा, मैंने अपने जवानों से कहा कि हम यहां इस अपराध को रोकने के लिए हैं और हमें इसे पूरी तरह से रोकने की जरूरत है. उन्होंने कड़ी मेहनत की.

आईजी ने इस बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि बीएसएफ के कितने कर्मियों को तस्करों के साथ साठगांठ के आरोप में पकड़ा गया और दंडित किया गया, लेकिन आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि उनकी संख्या 'काफी' है.

बीएसएफ दक्षिण बंगाल के उप महानिरीक्षक (गुप्तचर) एसएस गुलेरिया कहते हैं, सीमा की प्रभावी तरीके से की गई रखवाली की वजह से इस सीमा से बांग्लादेश में पशु तस्करी को पूरी तरह से रोक दिया गया है जो पिछले चार दशकों से हो रही थी.

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर मवेशी तस्करी के आंकड़े 2019 की शुरुआत से काफी कम हो गए हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए 'कार्य प्रगति पर है' कि संख्या को शेष बंगाल, असम, मेघालय और त्रिपुरा जैसे अन्य क्षेत्रों में शून्य पर लाया जाए.

आधिकारिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 2020 में बांग्लादेश सीमा से कुल 46,809 मवेशियों को जब्त किया गया था, जबकि इस साल मई तक इनकी संख्या 9,434 है.

Last Updated : Jun 17, 2021, 5:26 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details