नई दिल्ली : देश में घटते भूगर्भ जल के कारण उत्पन्न संकट के बीच गंगा बेसिन के पांच राज्यों में सिकुड़ते जलाशयों ने खतरे की घंटी बजा दी है. आबादी की बसावट के विस्तार, ठोस कचरा फेंकने एवं अन्य कारणों से उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, झारखंड एवं पश्चिम बंगाल में 28 प्रतिशत जलाशय सूख गए हैं. इन जलाशयों में तालाब, कुएं और बावड़ी आदि शामिल हैं.
ऐसे में सरकार स्थिति की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय जल मिशन के तहत बारिश की बूंदों को सहेजने के लिए अप्रैल से जून 2021 के बीच 'कैच द रेन : वेयर इट फाल्स, वेन इट फाल्स' (बारिश की बूंदों को सहेजे : जहां वे गिरे, जब वे गिरे) नामक देशव्यापी अभियान शुरू करने जा रही है.
पांच राज्यों में 28 प्रतिशत जलाशय सूखे
गंगा बेसिन में स्थित जलाशयों पर इस वर्ष फरवरी में क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया के गणना सर्वेक्षण के प्रारंभिक आंकड़े स्थिति की गंभीरता को प्रदर्शित करते हैं. सर्वेक्षण के अनुसार, गंगा बेसिन के पांच राज्यों में 578 जलाशयों में से 28 प्रतिशत जलाशय सूख गए, जबकि 411 जलाशय आबादी की बसावटों से घिरे पाए गए. इसके कारण जलाशयों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
इससे पहले, केंद्रीय भूजल बोर्ड के साल 2017 के अध्ययन के मुताबिक, देश में कुल 6881 ब्लॉकों/ मंडलों में भूजल स्तर को लेकर कराए गए सर्वेक्षण में 1186 ब्लॉक/ मंडलों में भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन किया गया है, जबकि 313 ब्लॉक/ मंडलों को भूजल की दृष्टि से गंभीर माना गया है.
साल 2003 से 2012 के दौरान देश में 56 प्रतिशत कुओं में जलस्तर में काफी गिरावट दर्ज की गई है.
जल शक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'मंत्रालय ने युवा मामलों के विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसमें जल शक्ति अभियान-2 के तहत एक अप्रैल से 30 जून के दौरान 'कैच द रेन : वेयर इट फाल्स, वेन इट फाल्स' नाम से देशव्यापी अभियान शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है.'
पीएम की बारिश के जल के संचयन की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी पंचायतों एवं नागरिकों से ज्यादा से ज्यादा बारिश के जल के संचयन पर बल देने की अपील की है.