नई दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया, जिन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार किया गया था.
सिसोदिया का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ के समक्ष कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके मुवक्किल के खिलाफ रिश्वतखोरी का कोई आरोप नहीं था. सिंघवी ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कोई विधेय अपराध नहीं है, तो ईडी वहां नहीं हो सकती है और हवाई अड्डे के लाइसेंस के संबंध में शराब नीति में संशोधन के संबंध में रिश्वत, विधेय अपराध का हिस्सा नहीं है.
न्यायमूर्ति खन्ना ने सीबीआई और ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा, यदि यह विधेय अपराध का हिस्सा नहीं है कि यह रिश्वत दी गई थी, तो 'आपको पीएमएलए साबित करने में कठिनाई हो सकती है.'
पीठ ने सवाल किया कि क्या आपने कहा था कि नीति में बदलाव के लिए 2.2 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई थी. पीठ ने कहा, हां 'लेकिन आप अपने पीएमएलए मामले में कोई विशेष अपराध नहीं बना सकते. हम किसी धारणा पर नहीं चल सकते. कानून में जो भी सुरक्षा दी गई है, उसे पूरी तरह बढ़ाया जाएगा.'
राजू ने तर्क दिया कि पीएमएलए की धारा 66 (2) के अनुसार, ईडी किसी भी नई जानकारी के बारे में क्षेत्राधिकार पुलिस को सूचित कर सकती है. पीठ ने कहा कि ऐसा नहीं किया गया है, इसलिए अदालत अनुमान पर नहीं चलेगी. सिंघवी ने तर्क दिया कि विजय मदनलाल चौधरी फैसले के अनुसार अपराध की आय का सृजन केवल विधेय अपराध में होता है. विस्तृत दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
सोमवार को सीबीआई और ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वे दिल्ली शराब नीति मामलों में शहर की आम आदमी पार्टी (आप) को आरोपी बनाने पर विचार कर रहे हैं.
राजू ने कहा कि उनके पास यह बताने के निर्देश हैं कि एजेंसियां 'प्रतिस्पर्धी दायित्व' पर कानूनी प्रावधानों और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 70 को लागू करते हुए 'आप' को आरोपी बनाने पर विचार कर रही हैं.