आगरा : उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. जिला मुख्यालय पर प्रत्याशी पूरे दमखम से नामांकन करने पहुंच रहे हैं. बड़े राजनीतिक दलों के दिग्गज प्रत्याशियों के बीच एक शख्स ऐसे भी है, जो पूरे चुनाव में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. हाथ मे छड़ी ओर बगल में खादी का झोला लिए 74 वर्षीय अम्बेडकरी हसनुराम सभी के लिए एक मिसाल बन चुके हैं. उन्होंने अब 93वीं बार वार्ड 30 से जिला पंचायत सदस्य के लिए नामांकन किया है. इससे पहले वह 92 चुनावों में हार का सामना कर चुके हैं.
कौन है अम्बेडकरी हसनुराम
74 साल के अम्बेडकरी हसनुराम पेशे से मनरेगा मजदूर हैं. 15 अगस्त 1947 को हसनुराम का रामनगर(खैरागढ़) गांव मे जन्म हुआ था. हसनुराम की पत्नी का नाम शिवदेवी है. दोनों के पांच पुत्र हैं, जो मजदूर हैं. हसनुराम अम्बेडकरी वर्ष 1985 से चुनाव लड़ रहे हैं. हसनुराम वार्ड सदस्य से लेकर राष्ट्रपति तक के चुनाव लड़ चुके हैं.
बगावत कर चुनाव लड़ने की ठानी
हसनुराम अम्बेडकरी बताते है कि सन 1985 में वह बसपा के कर्मठ सिपाही थे. उन्होंने बसपा से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मांगी थी. तब बसपा के एक बड़े नेता ने उन पर तंज कसते हुए कहा था कि 'तुम्हें तुम्हारी बीवी तक ठीक से नहीं पहचानती है, तो कोई और क्या तुम्हें वोट देगा'. यही बात हसनुराम के दिल पर लग गई. तब उन्होंने बसपा छोड़ दी. इसके बाद 1988 में खैरागढ़ विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उन्होंने चुनाव लड़ा. तबसे लगातार वह चुनाव लड़ते आ रहे हैं.
शतक के करीब हसनुराम