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क्या सचिन वाजे को बहाल करने वाले पुलिस अधिकारी माफी का दावा कर सकते हैं : अदालत का सवाल - मुंबई

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को सवाल किया कि, क्या पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की सेवा बहाल करने वाले मुंबई पुलिस के अधिकारी इस आधार पर माफी का दावा कर सकते हैं कि वे वाजे के अतीत से अनजान थे? न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार की पीठ ने कहा कि अगर किसी को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की तह में जाना है, तो कोई भी प्रथम दृष्टया यह देख सकता है.

पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे
पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे

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Published : Jul 12, 2021, 10:37 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को सवाल किया कि, क्या पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे की सेवा बहाल करने वाले मुंबई पुलिस के अधिकारी इस आधार पर माफी का दावा कर सकते हैं कि वे सचिन वाजे के अतीत से अनजान थे?

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति एनजे जमादार की पीठ ने कहा कि अगर किसी को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की तह में जाना है, तो कोई भी प्रथम दृष्टया यह देख सकता है कि कथित तौर पर देशमुख के कहने पर वाजे जबरन वसूली कर रहे थे. पीठ ने सवाल किया, हालांकि, नगर पुलिस बल में वाजे को बहाल करने के पीछे कौन था? क्या वे कह सकते हैं कि वे वाजे के अतीत के बारे में नहीं जानते थे?

पीठ ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से सवाल किया. पीठ ने कहा कि वह कह रहे हैं, दोहराव की कीमत पर सीबीआई को अपनी जांच से किसी भी दोषी पक्ष को बाहर नहीं रखना चाहिए. पीठ ने कहा, हम कह रहे हैं कि जांच सभी शामिल लोगों के खिलाफ होनी चाहिए. सामान्य तरीका यह है कि जब तक चीजें ठीक चलती हैं, कोई कुछ नहीं कहता है. एक बार तबादला होने के बाद, सभी प्रकार के आरोप लगाए जाते हैं.

अदालत ने कहा, अगर हम इस मामले की तह में जाते हैं, वाजे पैसा इकट्ठा कर रहे थे. इसलिए उनकी बहाली के पीछे कौन था? क्या अब कोई कह सकता है कि उन्हें वाजे के अतीत, रिकॉर्ड आदि के बारे में पता नहीं था. (वाजे को बहाल करते समय)? इसलिए हम बार-बार कह रहे हैं कि यह मामला एक व्यक्ति की बात नहीं थी. उच्च न्यायालय के आदेश (आरोपों की प्रारंभिक जांच का निर्देश) का मूल जनता में विश्वास पैदा करना है.

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अदालत ने यह टिप्पणी उस समय की जब वह देशमुख द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस याचिका में सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है. देशमुख के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा था कि सीबीआई जांच अवैध है, क्योंकि एजेंसी देशमुख पर मुकदमा चलाने के लिए पूर्व मंजूरी लेने में विफल रही है और वह उस समय एक लोक सेवक थे.

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने अदालत से कहा कि किसी मंजूरी की आवश्यकता नहीं थी. क्योंकि देशमुख भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे थे.

लेखी ने कहा कि सीबीआई जांच में अदालत के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, गृह मंत्री (देशमुख) ने वाजे को पैसा वसूलने का लक्ष्य दिया था. पुलिस अधिकारियों को लक्ष्य देना मंत्री का काम नहीं है. यह कुशासन का मामला है.

(पीटीआई-भाषा)

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