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Calcutta HC on Blanket Distribution Programme : कंबल वितरण कार्यक्रम वाले मामले में भाजपा नेता की मुश्किलें बढ़ीं, हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत

कंबल वितरण कार्यक्रम में भगदड़ वाले मामले में भाजपा नेता की मुश्किलें बढ़ गईं हैं. कोलकाता हाईकोर्ट ने उन्हें कोई राहत प्रदान नहीं की. इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो सकती है.

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Published : Feb 23, 2023, 7:19 PM IST

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कलकत्ता हाईकोर्ट

कोलकाता : कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को आसनसोल में 14 दिसंबर को एक कंबल वितरण समारोह के दौरान भगदड़ से संबंधित एक मामले में भाजपा नेता और आसनसोल नगर निगम की पार्षद चैताली तिवारी और तीन अन्य को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया. 2022 में हुई भगदड़ में तीन लोगों की मौत हो गई थी. पुलिस ने मरने वालों में से एक के बेटे की शिकायत के आधार पर चैताली तिवारी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था. चैताली, जो आसनसोल नगर निगम में विपक्ष की नेता भी हैं, ने आरोपों को रद्द करने की प्रार्थना करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था.

उन्होंने अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना करते हुए अदालत की एक अन्य पीठ का भी रुख किया था. हाईकोर्ट ने चैताली के खिलाफ आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया. पीठ ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला आने तक उन्हें गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की. चैताली और अन्य के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने 6,000 कंबलों के लिए कूपन जारी किए, लेकिन केवल 3,000 ही खरीदे. वे स्पष्ट रूप से जानते थे कि कंबल बांटने के लिए चुना गया स्थल ज्यादा लोगों के जुटने के लिए पर्याप्त नहीं था.

यह भी आरोप लगाया गया है कि उन्होंने वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (डब्ल्यूबीएसईडीसीएल) से नकली अनुमतिपत्र प्राप्त किया और अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए इसे अदालत में भी पेश किया. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर कुमार बसु ने कहा कि इस घटना में उनके मुवक्किलों की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने यह भी कहा कि डब्ल्यूबीएसईडीसीएल से अनुमति प्राप्त करने के लिए एक स्थानीय इलेक्ट्रीशियन को लगाया गया था और वह फर्जी दस्तावेज के लिए जिम्मेदार था.

शिकायतकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता फिरोज एडुल्जी ने इन दलीलों का प्रतिवाद किया और बताया कि इस आयोजन के लिए पुलिस से अनुमति नहीं मांगी गई थी और चैताली तिवारी सहित आयोजकों ने भगदड़ मचने के बावजूद कंबल बांटना जारी रखा. उन्होंने फर्जी अनुमतिपत्र दिखाकर न्यायपालिका को गुमराह करने का भी प्रयास किया. राज्य सरकार ने अग्रिम जमानत याचिकाओं का भी विरोध किया. सभी पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस देबांगसु बसाक और जस्टिस मो. शब्बर रशीदी की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की अग्रिम जमानत अर्जी ठुकरा दी. हालांकि कोर्ट ने मामले के गुण-दोष पर कोई आदेश पारित नहीं किया.

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(आईएएनएस)

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