नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में 2014 से 2019 के बीच कुल निर्माण कार्य का लगभग 58 प्रतिशत निर्धारित समय के भीतर पूरा नहीं हुआ था.
इसके साथ ही राष्ट्रीय लेखा परीक्षक ने यह भी पाया कि रक्षा मंत्रालय की मंजूरी के बिना डीआरडीओ के 38 वैज्ञानिक निर्माण कार्य विभाग में तैनात थे. यह रिपोर्ट मंगलवार को संसद में पेश की गयी थी.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि डीआरडीओ का मुख्य कार्य सशस्त्र बलों के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों का अनुसंधान और विकास करना है और इसमें रक्षा अनुसंधान और विकास वैज्ञानिक (डीआरडीएस) कैडर में 180 वैज्ञानिकों की कमी थी.
कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीआरडीओ में कार्यों की योजना और समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए विशेष अनुसंधान और विकास निर्माण प्रतिष्ठान (आरडीसीई) रखने का मकसद पूरा नहीं किया गया और 2014-2019 की अवधि के दौरान 58 प्रतिशत कार्यों को मूल कार्यक्रम के भीतर पूरा नहीं किया जा सका.
इसके अलावा, मूल समयसीमा के भीतर कार्यान्वित किए गए कार्यों का प्रतिशत 2016-17 के 47.09 प्रतिशत से 2018-19 में घटकर 36.53 प्रतिशत हो गया.
राष्ट्रीय लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में कहा गया है कि डीआरडीओ के पास रक्षा सेवाओं के समान अतिथि गृहों (जीएच) की आवश्यकता का आकलन करने के लिए मानक नहीं हैं, जहां अधिकारियों के मेस का निर्माण किसी विशेष इकाई में अधिकारियों की स्वीकृत संख्या के आधार पर होता है.
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