नई दिल्ली :माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वृंदा करात ने भारत के प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े को पत्र लिखकर उनसे वह टिप्पणी वापस लेने का आग्रह किया है, जिसमें उन्होंने बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी से पूछा था कि क्या वह पीड़िता के साथ विवाह करने के लिये तैयार है.
वृंदा ने कहा कि अदालतों को यह धारणा नहीं देनी चाहिए कि वह पीछे ले जाने वाले ऐसे दृष्टिकोणों का समर्थन करती है.
करात एक लोक सेवक की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की गयी शीर्ष अदालत की टिप्पणी का जिक्र कर रही थी, जिस पर एक लड़की के साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप है और बम्बई उच्च न्यायालय ने उसकी अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी.
वाम नेता ने कहा कि इन सवालों ,शब्दों और कार्यों का नाबालिगों के साथ बलात्कार के मामलों में जमानत देने के गंभीर निहितार्थ हैं.
उन्होंने कहा, कृपया इस पर विचार करते हुए इन टिप्पणियों और सवालों को वापस लें. कृपया औरंगाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखें, जिसने निचली अदालत द्वारा आरोपी को दी गयी जमानत को जघन्य करार दिया था.
सोमवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत की पीठ ने आरोपी से पूछा था, 'क्या तुम उससे (पीड़िता) से विवाह करने के इच्छुक हो . अगर उसके साथ तुम्हारी विवाह करने की इच्छा है तो हम इस पर विचार कर सकते हैं, नहीं तो तुम्हें जेल जाना होगा .