दावणगेरे: यह एक ऐसा पुल था जिसका तीन बार पुनर्निर्माण किया गया था लेकिन फिर भी ढ़ह गया. इस घटना से लोगों में काफी आक्रोश है क्योंकि यह पुल दस गांवों को जोड़ता था. यह पुल किसानों, स्कूली बच्चों और आम जनता के लिए बहुत मददगार था. बेलुडी और रामतीर्थ के ग्रामीणों ने पुल के निर्माण में घटिया सामग्री के इस्तेमाल पर नाराजगी जताई है.
दावणगेरे जिला के हरिहर तालुक के बेलुडी और रामतीर्थ समेत दस गांवों को जोड़ने वाला एक पुल ढह गया है. मानसून के दौरान भारी बारिश से पुल ढह गया. इसकी चौथी बार मरम्मत की जरूरत थी. ग्रामीणों ने खराब काम आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत की है. यह पुल पिछले दो साल में पुल 3 बार गिर चुका है.
हरिहर तालुक के बेलुडी गांव में स्थित यह पुल रामतीर्थ, कमलापुरा, मेघनाहल्ली, उक्कादगत्री, नंदीगावी, बनुवल्ली, सिरिगेरे, होसाहल्ली और वेमनमथा जैसे कई गांवों से जुड़ा हुआ था. अब किसानों के लिए अपने खेतों तक जाना, बच्चों का स्कूल जाना और लोगों का यात्रा करना मुश्किल हो गया है. इसके अलावा, पुल के गिरने से लोगों को लगभग पंद्रह किमी दूर यात्रा कर गांव पहुंचना पड़ता है.
जिला कलेक्टर महंतेश बीलागी के कार्यकाल में यह पुल तीन बार बना और तीन बार गिरा. पुल गिरने के बाद इसके पुनर्निर्माण पर छह लाख रुपये, फिर तीन लाख रुपये और फिर चार लाख रुपये खर्च किए गये थे. लेकिन पुल फिर से गिर गया है. जिला कलेक्टर महंतेश बीलागी ने घटनास्थल का दौरा किया और पुल गिरने का निरीक्षण किया. जिला कलेक्टर ने कहा कि सरकार ने 2,90.000.000 रुपये की लागत से पुल के निर्माण का प्रस्ताव है.
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बेलुडी के ग्रामीण शंकरप्पा ने कहा, 'खेत में जाना एक समस्या बन गयी है. स्कूली बच्चों को परेशानी हो रही है. हमें अपने गांव आने में लगभग 15 किमी की यात्रा करनी पड़ रही है. तीसरी बार पुल गिर गया है. बारिश बढ़ने के कारण पुल गिर गया है. हम अधिकारियों से अनुरोध करते हैं कि जल्द से जल्द स्थाई समाधान निकालें.' जिला कलेक्टर महंतेश बेरलागी ने कहा, 'यह पुल मेरे कार्यकाल में तीन बार गिर चुका है. लगभग 10 लाख की लागत से इसका पुनर्निर्माण किया गया था. अब यह फिर से ढह गया है. डीपीआर ने दो करोड़ 90 लाख रुपये का प्रस्ताव सरकार को स्थायी समाधान के लिए भेजा है.