मुंबई:बॉम्बे हाई कोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को ऋण धोखाधड़ी के एक मामले में सोमवार को जमानत दे दी. अदालत ने पाया कि उनकी गिरफ्तारी कानून के प्रावधानों के अनुरूप नहीं की गई.
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पी. के. चव्हाण की एक खंडपीठ ने कहा कि कोचर दंपति गिरफ्तारी दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए का उल्लंघन है, जिसके तहत संबंधित पुलिस अधिकारी के समक्ष पेश होने के लिए नोटिस भेजना अनिवार्य है. केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई 2022 ऋण धोखाधड़ी मामले में कोचर दंपति को 23 दिसंबर 2022 को गिरफ्तार किया था. वे अभी न्यायिक हिरासत में हैं.
कोचर दंपति के अलावा सीबीआई ने वीडियोकॉन के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को भी मामले में गिरफ्तार किया है और वह भी न्यायिक हिरासत में हैं. अदालत ने कहा, 'तथ्यों के अनुसार, याचिकाकर्ताओं (कोचर दंपति) की गिरफ्तारी कानून के प्रावधानों के तहत नहीं की गई. धारा 41 (ए) का पालन नहीं किया गया और इसलिए वे रिहाई के हकदार हैं.'
अदालत ने कहा, 'गिरफ्तारी कानूनी के प्रावधानों के तहत नहीं की गई.' खंडपीठ ने कोचर दंपति को एक-एक लाख रुपये की जमानत राशि जमा कराने का निर्देश दिया. दंपति के वकील ने बाद में कहा कि वे रिहाई के लिए सीबीआई की अदालत में आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे. अदालत ने कहा कि दोनों को जांच में सहयोग करना चाहिए और जब भी तलब किया जाए, दोनों सीबीआई कार्यालय में पेश हों.
कोचर दंपति को अपने पासपोर्ट सीबीआई के पास जमा कराने का निर्देश भी दिया गया. यह आदेश चंदा कोचर और उनके पति द्वारा, बैंक ऋण मामले में सीबीआई द्वारा उन्हें गिरफ्तार किए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया गया. दोनों ने अपनी याचिकाओं में कहा था कि सीबीआई की गिरफ्तारी मनमानी व अवैध है.
चंदा कोचर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने दलील दी कि सीआरपीएस की धारा 46 (ए) का पालन किए बिना गिरफ्तारी की गई क्योंकि चंदा कोचर की गिरफ्तारी के समय वहां कोई महिला पुलिस अधिकारी नहीं थी. धारा 46 (ए) के तहत किसी भी महिला को न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति के बिना सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.